रांची : झारखंड प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया है कि राज्य की सरकार सुरक्षा उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार के गंभीर मामले को दबाने में जुटी है। उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने व्हिस्ल ब्लोअर एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई थी कि उपकरणों को बाजार भाव से चार से पांच गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद सरकार ने लंबे समय तक कोई संज्ञान नहीं लिया। बाद में जब दबाव बढ़ा तो जांच समिति का गठन किया गया, लेकिन उसकी अध्यक्षता एक कनिष्ठ अधिकारी आईजी नरेंद्र कुमार को सौंप दी गई। उन्होंने इसे हास्यास्पद बताते हुए कहा कि यह कैसे संभव है कि एक कनिष्ठ अधिकारी अपने वरीय अधिकारी की जांच करे। उन्होंने आरोप लगाया कि भारी विरोध के बाद समिति बदली गई और एडीजी स्तर के अधिकारी टी. कांडास्वामी को अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन उनके अवकाश पर रहने के कारण जांच की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। प्रतुल ने दावा किया कि अब तक समिति की एक भी बैठक नहीं हुई है। इससे साफ है कि सरकार मामले की गंभीर जांच चाहती ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि व्हिस्ल ब्लोअर एक्ट की भावना है कि कोई भी अधिकारी यदि भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करे तो उसे हर स्तर पर सुरक्षा मिले और उसकी पहचान गोपनीय रखी जाए। लेकिन झारखंड में स्थिति उलट है। यहां सरकार ने शिकायतकर्ता को असुरक्षित कर दिया और आरोपित अधिकारी को बचाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यह न केवल कानून की भावना के विपरीत है बल्कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का सीधा उदाहरण है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय और पारदर्शी जांच हो ताकि सच सामने आ सके और दोषियों को सजा मिले।