रांची। झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में एससी परामर्शदात्री परिषद और एससी आयोग के पुनर्गठन की मांग की है, ताकि इस वंचित वर्ग की वास्तविक समस्याओं का समाधान किया जा सके। मंत्री ने पत्र में उल्लेख किया कि झारखंड 15 नवंबर को अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहा है। ऐसे समय में यह जरूरी है कि राज्य की विकास योजनाओं में एससी समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि एससी वर्ग के अधिकांश लोग भूमिहीन हैं और मजदूरी पर निर्भर हैं, जिससे उनकी स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। किशोर ने लिखा कि 2025-26 के बजट भाषण में एससी परामर्शदात्री परिषद के पुनर्गठन की घोषणा की गई थी, जो सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने जोर दिया कि गठबंधन सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि एससी वर्ग का जीवन स्तर ऊंचा उठाया जाए। झारखंड में एससी आबादी लगभग 14 प्रतिशत (50-55 लाख) है, लेकिन बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार उनकी स्थिति अनुसूचित जनजाति (एसटी) से भी बदतर है। पत्र में मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, आवास, स्वच्छता और ऊर्जा जैसी बुनियादी जरूरतों की भारी कमी इस वर्ग की आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन को दर्शाती है। औसतन एससी परिवारों की वार्षिक आय 50 हजार रुपये से भी कम है। किशोर ने संविधान के अनुच्छेद-338 का हवाला देते हुए कहा कि एससी आयोग का गठन समुदाय के कल्याण और संरक्षण के लिए किया गया था। हालांकि, झारखंड में 2018 में आयोग की अधिसूचना जारी होने के बावजूद यह कभी क्रियाशील नहीं रहा। इसी तरह, 15 सितंबर 2008 को गठित एससी परामर्शदात्री परिषद भी 17 वर्षों में नियमित रूप से सक्रिय नहीं हो सकी। मंत्री ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि एससी आयोग और परामर्शदात्री परिषद का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए, जिससे राज्य के समावेशी विकास को नई दिशा मिल सके।