सोचने-समझने की शक्ति मनुष्य के लिए वरदान है: प्रेम रावत

नई दिल्ली: राज विद्या केंद्र, दिल्ली में श्री हंस जी महाराज की 125वीं जयंती के अवसर पर 08 और 09 नवम्बर को दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।‘हंस जयंती’ श्री हंस जी महाराज के जन्म और जीवन का उत्सव है। वे प्रेम रावत जी के पिता थे। इस अवसर पर प्रेम रावत जी ने देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से आए हज़ारों श्रोताओं को संबोधित किया। अपने प्रेरणादायक संदेश में उन्होंने लोगों को मानवीय मूल्यों, आंतरिक शांति और अपनी समझ को विकसित करने के सकारात्मक दृष्टिकोण पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान चार विशेष सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें जीवन में शांति और समझ के संदेश को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। श्री हंस जी महाराज का जन्म वर्ष 1900 में उत्तराखंड में हुआ और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन एक सरल और शसक्त संदेश के प्रचार में समर्पित किया कि — “शांति हर मनुष्य के भीतर निहित है।”हर वर्ष 8 नवम्बर को देशभर से लोग उनके जीवन और शिक्षाओं को श्रद्धा और आनंद के साथ स्मरण करते हैं। यह अवसर केवल उनकी याद में ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा किए गए प्रयासों के सम्मान में भी मनाया जाता है, जो आज भी प्रेम रावत जी के कार्यों के माध्यम से विश्वभर में प्रसारित हो रहे हैं।वर्ष 2025 एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि श्री हंस जी महाराज के जन्म को 125 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस अवसर पर आयोजित ‘हंस जयंती समारोह’ भक्ति, उत्सव और प्रेरणा से परिपूर्ण रहा। प्रेम रावत जी ने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि —“जिस प्रकार एक जलती हुई मोमबत्ती एक बुझी हुई मोमबत्ती को जला सकती है, उसी प्रकार जब मनुष्य अपने जीवन के वास्तविक अर्थ और उसकी महत्ता को समझता है और उसकी अच्छाइयों को अपनाता है, तब उसका प्रभाव न केवल उसके जीवन में होता है, बल्कि उसके आस-पास के लोगों और समाज पर भी पड़ता है। जिस प्रकार जलते दीपक से और दीप जलते हैं, उसी तरह हमारी समझ का महत्व भी यही है कि हम अपने जीवन की क्षमताओं को समझें और उन्हें अपनाएं।” प्रेम रावत जी समय के मूल्य को समझाते हुए कहते हैं —“एक समय था जब मनुष्य एक-दूसरे को पहचानता था, उनके साथ समय बिताता था और जीवन को सहजता से जीता था। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और तकनीकी युग में इंसान इतना उलझ गया है कि उसके पास अपने लिए भी समय नहीं रहा। आज हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों, कल्पनाओं और व्यस्तताओं में इतना उलझ गया है कि वह न अपने लिए समय निकाल पा रहा है, न अपने आस-पास के लोगों के लिए। हमें ऐसा लगता है जैसे हमने घड़ी बाँधकर समय को पकड़ लिया है, जबकि वास्तव में घड़ी केवल एक यंत्र है — समय नहीं। जीवन में क्या करना है, यह हमें स्वयं तय करना चाहिए, क्योंकि यह हमारे और हमारे जीवन के लिए कोई और नहीं करेगा। जब हम अपने जीवन के उद्देश्य को समझते हैं और समय का सही उपयोग करते हैं, तभी हम वास्तव में जीवन को समझ पाते हैं और इसके हर पल का सच्चा आनंद ले सकते हैं।” श्री हंस जी महाराज के शांति संदेशों को जन-जन तक पहुँचाने का कठिन प्रयास प्रेम रावत जी ने नौ वर्ष की आयु से किया। दुनियाभर में लोगों ने उनके प्रयासों की सराहना की है। आज उनका संदेश दुनिया के 100 से अधिक देशों में देखा और सुना जा रहा है। माननीय कार्यों के परिणामस्वरूप अनेक लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए हैं। भारत सहित दुनिया के कई देशों में “पीस एजुकेशन प्रोग्राम” का लाभ अब तक पाँच लाख से अधिक लोगों ने लिया है। यह कार्यक्रम देश-विदेश के अनेक जेलों में भी संचालित किया जा रहा है, जहाँ इसके परिणामस्वरूप रचनात्मक और सुखद परिवर्तन देखे गए हैं। हंस जयंती कार्यक्रम में भाग लेने आए लोगों ने इसका भरपूर आनंद लिया। इस अवसर पर राज विद्या केंद्र में एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें श्री हंस जी महाराज के जीवन काल और उनके प्रयासों को दर्शाया गया। इसके अतिरिक्त, संगीत ने कार्यक्रम को और भी रोचक और आनंददायक बना दिया। इन दो दिवसीय विशेष कार्यक्रमों का आनंद हज़ारों लोगों ने टाइमलेस टुडे ऐप और वेबसाइट पर ऑनलाइन भी लिया।

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