महिला बंदियों की स्वास्थ्य कठिनाइयों पर सरकार की चुप्पी दर्दनाक : राफिया नाज़

रांची : प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने झारखंड सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि राज्य की जेलों में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बंदियों का नहीं, बल्कि महिला बंदियों का भी गहरा संकट है, जिन्हें बुनियादी चिकित्सा सुविधा तक नसीब नहीं हो रही। उन्होंने बताया कि झारखंड की जेलों में 16,549 से अधिक बंदी रह रहे हैं, लेकिन एक भी नियमित नर्स की तैनाती न होना सरकार की घोर लापरवाही का प्रमाण है। राफिया नाज़ ने कहा कि जब जेलों में बीमार महिला बंदियों को इतनी बुनियादी सुविधा भी न मिले, तो यह सिर्फ गलती नहीं बल्कि प्रशासनिक अपराध है। राफिया नाज़ ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि बंदियों के इलाज के लिए सभी स्वास्थ्य पदों को तुरंत भरा जाए, लेकिन सरकार महीनों से इस आदेश को ठंडे बस्ते में डालकर बैठी है। उन्होंने कहा कि हर बार किसी बंदी की मौत के बाद NHRC नोटिस भेजता है, पर सरकार की नींद नहीं टूटती। राफिया नाज़ ने विशेष तौर पर कहा कि नर्सों की अनुपस्थिति का सबसे अधिक और सबसे संवेदनशील असर महिला कैदियों पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान विशेष देखभाल, दवाइयों और स्वच्छता सामग्री की आवश्यकता होती है, लेकिन समय पर सुविधा न मिलने से उनकी पीड़ा कई गुना बढ़ जाती है। वहीं गर्भवती बंदियों के लिए तो नियमित जांच, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और इमरजेंसी हेल्थ सपोर्ट बेहद ज़रूरी होता है, पर नर्स न होने की वजह से उनकी जान पर लगातार खतरा बना रहता है। इसके अलावा, जिन महिला कैदियों के साथ नवजात शिशु रहते हैं, उन्हें तुरंत और निरंतर चिकित्सकीय सहायता की जरूरत होती है, लेकिन जेलों में 24×7 मेडिकल सुविधा उपलब्ध न होने से स्थिति और भी भयावह और मानवीय दृष्टि से चिंताजनक हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे दर्दनाक हालात में सरकार की चुप्पी महिला कैदियों के प्रति संवेदनहीनता को उजागर करती है। उन्होंने बताया कि जेल आईजी ने खुद गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर नर्सों की प्रतिनियुक्ति की मांग की है, और यह भी स्वीकार किया है कि नर्स की कमी के कारण 24 घंटे इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही। लेकिन सरकार की कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित है।

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