रांची,। झारखंड शराब घोटाले में एक और अधिकारी का 164 (183 बीएनएसएस एक्ट ) के तहत बयान दर्ज किया गया है। सोमवार को उत्पाद विभाग के तत्कालीन आयुक्त और फिलहाल वाणिज्य कर विभाग में आयुक्त के पद पर कार्यरत अमित कुमार का बयान एसीबी कोर्ट की अनुमति के बाद दर्ज हुआ।मजिस्ट्रेट के समक्ष जो बयान दर्ज किया गया वह एजेंसी के कहने पर नहीं बल्कि खुद आईएएस अमित कुमार के आग्रह पर किया गया। अमित कुमार के आग्रह के बाद कोर्ट ने उनका बयान दर्ज करवाने के लिए मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की और मजिस्ट्रेट के समक्ष अमित कुमार का 164 का बयान दर्ज किया गया। अमित कुमार का बयान दर्ज होने के बाद उसे सीलबंद कर दिया गया है।सूत्रों के अनुसार अमित कुमार ने अपने बयान में शराब घोटाला से जुड़े कई अहम और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अमित कुमार ने कोर्ट में दर्ज बयान में भी शराब घोटाला में विनय चौबे सहित अन्य लोगों की भूमिका की जानकारी दी है। उन्होंने कोर्ट में कहा है कि उत्पाद विभाग का कोई भी टेंडर विनय चौबे के कहने पर ही होता था और टेंडर किसे देना है यह विनय चौबे ही तय करते थे।टेंडर के बाद प्लेसमेंट एजेंसी को विनय चौबे के कहने पर ही पैसों का भुगतान किया गया। विभाग के सभी अधिकारियों को यह मौखिक आदेश दिया गया था कि टेंडर और भुगतान से संबंधित फाइल में वही नोटिंग होगी जो विनय चौबे कहेंगे। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी के साथ मिलके विनय चौबे ने सभी टेंडर इस तरह मोडिफाइड कर दिया गया प्लेसमेंट एजेंसियों को इसका पूरा लाभ मिले।यानि विनय चौबे उत्पाद विभाग में जब तक सचिव पद रहे तब तक उन्होंने विभाग को सभी नियमों को दरकिनार कर अपने हिसाब से चलाया। उत्पाद विभाग में विनय चौबे का वन मैन शो था और वो जो कहते थे नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी अधिकारीयों को वही करना पड़ता था।इससे पहले आईएएस अमित कुमार से एसीबी शराब घोटाला मामले में दो बार पूछताछ कर चुकी है। इस पूछताछ में भी उन्होंने विनय चौबे के उत्पाद विभाग के सचिव रहते हुए किए गए घोटालों का खुलासा किया था।