नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग अब एक नई दिशा में बढ़ता दिखाई दे रहा है। नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालते ही चुनाव आयोग में कई बड़े और निर्णायक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसका उद्देश्य न केवल भारत की चुनाव प्रणाली को अधिक पारदर्शी और बेहतर बनाना है, बल्कि इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप या उससे भी कहीं ज्यादा बेहतर रूप में तैयार करना है। इसके लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सबसे पहले चुनावी प्रक्रियाओं के अंतरराष्ट्रीय तुलनात्मक अध्ययन पर जोर दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त ने देश के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEOs) को प्रत्येक लोकतांत्रिक देश की चुनाव प्रणाली का अध्ययन करने का निर्देश दिया है। इसका मकसद यह जानना है कि उन देशों में चुनाव कैसे होते हैं, मतदाता सूची कैसे बनती है, और वे कौन-सी नई चीजें और नए तरीके अपनाते हैं जो भारत के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं। भविष्य में भारतीय चुनावी प्रक्रिया में और भी आधुनिक तकनीकों, जैसे ऑनलाइन वोटिंग, रियल-टाइम वोट ट्रैकिंग या डेटा-संचालित प्रबंधन को शामिल कर सकता है। इससे चुनाव प्रणाली को और भी ज्यादा विश्वसनीय और मतदाता-अनुकूल बनाया जा सकता, ताकि देश का हर वोटर मतदान की प्रक्रिया में भागीदार बन सके। अभी तक स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अलग मतदाता सूचियां होती हैं, जो कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनावों से भिन्न होती हैं। अगर पूरे देश में ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक एक ही मतदाता सूची का इस्तेमाल होगा, तो न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि इससे मतदाता सूची में डुप्लिकेशन और गड़बड़ियों की संभावना भी पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। यह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में एक बुनियादी कदम की तरह है।