रांची: जनगणना प्रपत्र में अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर सोमवार आज राजभवन पर झारखंड कांग्रेस ने प्रदर्शन किया. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल संतोष गंगवार को ज्ञापन सौंपा.इस मुलाकात को लेकर कांग्रेस नेताओं ने उम्मीद जताई कि शेड्यूल पांच स्टेट होने की वजह से संरक्षक होने के नाते राज्यपाल अपने मंतव्य के साथ उनके ज्ञापन को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास उनके ज्ञापन को भेजेंगे. झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के राजू ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1871 से अंग्रेजी हुकूमत के समय से देश में जनगणना होती रही है. तब से आदिवासी समुदाय के लिए धर्म की जानकारी ली जाती थी.1951 से लेकर 2011 की जनगणना के दौरान भी अन्य धर्म का कॉलम होता था. जिसमें आदिवासी या सरना धर्मावलंबी अपना धर्म लिखते थे. यह पहली बार हुआ है कि जनगणना प्रपत्र में सिर्फ छह धर्म का कॉलम है जिसमें हिन्दू, मुस्लिम, इसाई, सिख, जैन और बौद्ध शामिल है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने कहा कि 2013 में यूपीए की सरकार में उनके केंद्रीय कल्याण मंत्री ने अलग सरना धर्म कोड की मांग को नकारा नहीं था. उन्होंने सदन में यह कहा था कि सरना धर्म की मांग झारखंड और आसपास के कुछ इलाकों तक में है जबकि आदिवासी समुदाय देश भर में रहते हैं. ऐसे में उनके लिए और ज्यादा विस्तृत धार्मिक कोड की जरूरत है. कांग्रेस के धरना के बाद बिहार क्लब में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने सभी कांग्रेस जिलाध्यक्ष, जिलों के लिए बनाए गए ऑब्जर्वर, विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सभी जीते-हारे उम्मीदवारों के साथ बैठक की. जिसमें यह निर्देश दिया गया कि निकाय चुनाव में कैसे ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस की नीति और सिद्धान्त में विश्वास करने वाले लोग जीत कर आए, इसके लिए सबको मिलकर काम करना है. इसके साथ साथ सभी जिले और प्रखंड से लेकर पंचायत तक अलग सरना धर्म कोड की मांग बुलंद करना है.