दलित के सियासत पिच पर खड़ा काँग्रेस ने बिगड़ा प्रदेश का जातीय जायका

रांची: पहले सरना धर्मकोड फिर पेसा कानून को लेकर मुखरता और अब दलित राजनीति की ओर बढा कांग्रेस का आकर्षण ने झारखंड की सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है. विपक्ष के साथ साथ सरकार में इंजन की भूमिका निभा रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के इस रुख से हतप्रभ है.बुधवार को प्रदेश कांग्रेस ने राज्य की 50 लाख आबादी अनुसूचित जातियों को आकर्षित करने के लिए राजधानी के गीतांजलि बैंक्वेट हॉल में बड़ी बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस प्रदेश प्रभारी के.राजू, पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र पाल गौतम, प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हुए.. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने अनुसूचित जातियों के उत्थान की वकालत करते हुए कहा कि लंबे समय से हरिजन विकास से दूर हैं. उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कदम उठाना पड़ेगा, इसके लिए चाहे जितनी लड़ाई लड़नी पड़े.न्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि अनुसूचित जातियों को एकजुट किया जाय और रही बात आयोग के गठन और परामर्श दातृ समिति के गठन की तो छह महीने के अंदर जरूर यह सरकार इसे पूरा करेगी.प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के राजू ने कहा कि अनुसूचित जातियों को ऊपर लाने के लिए संगठन के अंदर पहले से ही प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए प्रदेश से लेकर जिला एवं निचले स्तर तक की समिति में एससी, एसटी, ओबीसी और पिछड़ों के लिए 50% तक भागीदारी का प्रावधान किया जा रहा है.कांग्रेस के दलित प्रेम को भारतीय जनता पार्टी ने तीखी आलोचना की है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रमाकांत महतो ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से दलित विरोधी रही है. जिस पार्टी ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को सम्मान देने का कभी काम नहीं किया. वह पार्टी क्या दलितों के लिए सोचेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आयोग बनाया गया था. लेकिन वर्तमान महागठबंधन सरकार में 6 वर्षों से एक आयोग का पुनर्गठन तक नहीं हो पाया है. ऐसे में इनका अनुसूचित जाति के प्रति बढ़ा प्रेम महज दिखावा है.

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