रांची: झारखंड सरकार सभी 42 विभागों में कांट्रैक्ट के आधार पर वर्षों से सेवा दे रहे कर्मियों को बड़ा तोहफा दे सकती है। इनकी सेवा स्थायी करने के प्रस्ताव पर सरकार में उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है। सरकार के निर्देश पर ऐसे कर्मियों का रिकॉर्ड, उनके वेतन पर हो रहा मौजूदा खर्च, सेवा नियमितीकरण की स्थिति में खजाने पर होने वाले अतिरिक्त व्यय के आकलन की प्रक्रिया की गई है। वित्त विभाग ने ऐसे कर्मचारियों की स्थिति और नियमितीकरण पर वित्तीय बोझ का आकलन करने के लिए संयुक्त सचिव स्तर के छह पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी हैं। वे संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर कांट्रैक्ट कर्मियों के संख्या बल और उनपर हो रहे खर्च की समीक्षा करेंगे। संयुक्त सचिव पंकज कुमार सिंह को मंत्रिमंडल सचिवालय, निगरानी विभाग, स्कूली शिक्षा, नगर विकास, उच्च शिक्षा और परिवहन विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। अनिल कुमार यादव को कार्मिक प्रशासनिक सुधार, राजभाषा, ऊर्जा, वाणिज्यकर, पथ निर्माण, भवन निर्माण और ग्रामीण विभाग सौंपे गए हैं। राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, करीब 1.60 लाख कर्मचारी संविदा, दैनिक भत्ता और आउटसोर्सिंग पर कार्यरत हैं। ये कर्मचारी सचिवालय से लेकर प्रखंड और पंचायत स्तर तक सरकारी कार्यालयों में सेवाएं दे रहे हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, वित्त विभाग की समिति जल्द ही सभी आंकड़े और वित्तीय पहलुओं का आकलन पूरा करेगी। इसके बाद नियमितीकरण की प्रक्रिया का रोडमैप तैयार किया जाएगा। यह कदम राज्य सरकार द्वारा लंबे समय से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को स्थिरता और सुरक्षा देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार की इस पहल से कर्मचारियों में खुशी का माहौल है। कई कर्मचारी उम्मीद जता रहे हैं कि जल्द ही नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी। झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने इस कदम की सराहना की है। उन्होंने कहा, “लंबे समय से कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। महासंघ लगातार नियमितीकरण की मांग करता रहा है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पहल से दशहरा और दीपावली इस बार संविदा कर्मियों के लिए खास होंगे।