नई उत्पाद नीति पर असमंजस, व्यापारियों ने राजस्व लक्ष्य को लेकर जताई आपत्ति

रांची : उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सभागार में मंगलवार को आयुक्त उत्पाद रवि शंकर शुक्ला की अध्यक्षता में झारखंड और अन्य राज्यों के शराब कारोबारियों की बैठक हुई। इस बैठक में एक सितंबर से निजी हाथों में जाने वाली शराब की खुदरा बिक्री से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हुई। कारोबारियों ने सात महीनों के लिए निर्धारित 2402 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य पर चिंता व्यक्त की। आयुक्त ने स्पष्ट किया कि यह लक्ष्य आपसी विचार-विमर्श के बाद तय किया गया है और इसमें संशोधन संभव नहीं है। साथ ही, उत्पाद नीति में भी कोई बदलाव नहीं होगा। तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए दुकानदारों से सुझाव मांगे गए, जिन्हें लागू करने का आश्वासन दिया गया। दुकानदारों ने नई उत्पाद नीति और टैक्स स्लैब के कारण शराब की कीमतों में वृद्धि की आशंका जताई, जिससे झारखंड में शराब की कीमतें पश्चिम बंगाल की तुलना में अधिक हो सकती हैं। उनका कहना था कि कीमतें बढ़ने से राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जबकि कम कीमतें होने पर पड़ोसी राज्यों के ग्राहक झारखंड में शराब खरीदने आएंगे, जिससे राजस्व बढ़ेगा। आयुक्त ने कारोबारियों के सुझावों को गंभीरता से सुना और कई सवालों के त्वरित जवाब दिए। अन्य सुझावों के लिए विभाग की वेबसाइट का लिंक साझा किया गया, जहां कारोबारी अपनी बात रख सकते हैं। बैठक में अर्नेस्ट मनी वापसी की प्रक्रिया पर भी चर्चा हुई। शराब दुकानों के लिए आवेदन के साथ राजस्व लक्ष्य का दो प्रतिशत अर्नेस्ट मनी जमा करना होता है, जो लाखों में होती है। पहले इसकी वापसी में दो महीने लगते थे, लेकिन आयुक्त ने आश्वासन दिया कि अब यह राशि 15 दिनों में वापस होगी।

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