जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में कोर्ट ने कुल 6 में से 3 आरोपियों को उम्रकैम का सजा सुनाया। कोर्ट ने घटना के मास्टरमाइंड पुलिस अफसर दीपक खजूरिया, प्रवेश कुमार एवं प्रधान सांझी राम को उम्रकैम की सजा सुनाई गयी है। इन सभी आरोपियों पर 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। और एसआई अनंत दत्त, हेड कॉन्स्टेबल एवं एसपीओ सुरेंद्र वर्मा तिलक राज को सबूत मिटाने के जुर्म में 5-5 साल की सजा हुई है।
क्राइम ब्रांच ने पिछले साल अप्रैल में सभी 8 आरोपियों के खिलाफ चार्टशीट दाखिल की थी। इनमें से एक आरोपी नाबालिग है, उसका केस जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में चल रहा है। पठानकोट कोर्ट ने सोमवार को सांझी राम समेत 6 आरोपियों को दोषी ठहराया, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया।
चार्जशीट
के अनुसार, सांझी
राम पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड था। अपहरण के बाद बच्ची को उसकी देखरेख वाले
मंदिर में रखा गया था। कोर्ट ने दो एसपीओ दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा, एसआई अनंत दत्त, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और
प्रवेश कुमार उर्फ मन्नू को दोषी करार दिया। जबकि सांझी राम के बेटे विशाल को बरी
कर दिया।
कठुआ केस को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी। इसके बाद तत्कालीन महबूबा मुफ्ती सरकार ने पैरवी के लिए सिख समुदाय के दो वकील नियुक्त किए थे। वकीलों ने जम्मू-कश्मीर के कोर्ट में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने से रोक दिया था। इसके बाद ही मामले ने तूल पकड़ा और सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पठानकोट की फास्ट ट्रैक कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय की पीड़ित बच्ची कठुआ जिले के रासना गांव में रहती थी। जनवरी, 2018 में अपहरण के बाद उसे गांव के एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया। यहां कई दिनों तक गैंगरेप किया गया, फिर सिर कुचल हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 जनवरी को उसका शव क्षत-विक्षत हालत में जंगल से बरामद हुआ था।