निशिकांत की राह नहीं है आसान!

गोड्डा लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक होने वाला है, इस सीट पर बीजेपी एवं महागठबंधन के अलावे निर्दलीय भी ताल ठोक रहे हैं। 19 मई को गोड्डा लोकसभा की सीट के लिए मतदान होना है। यहां महागठबंधन से प्रदीप यादव जबकि बीजेपी से निशिकांत दुबे के बीच आमने सामने की टक्कर बताई जा रही है। परिणाम जो भी हों, लेकिन निशिकांत के लिए 2014 का इतिहास दोहराना आसान नहीं होगा।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर के बावजूद संथाल परगना प्रमंडल की तीन लोकसभा सीट में भाजपा एकमात्र गोड्डा सीट ही जीत सकी थी। हालांकि 2014 की अपेक्षा 2019 के चुनावी समीकरण में भारी उलटफेर हुआ है। 2014 में कांग्रेस के फुरकान अंसारी और झाविमो के प्रदीप यादव दोनों चुनावी मैदान में थे जबकि इस बार झाविमो के प्रदीप यादव महागठबंधन के प्रत्याशी हैं। महागठबंधन प्रत्याशी को झाविमो के अलावा, कांग्रेस, झामुमो और राजद के समर्थन प्राप्त है। गोड्डा लोकसभा में महागठबंधन के इन दलों के पास अच्छा खासा वोट बैंक है, जबकि भाजपा की सहयोगी दल जदयू और आजसू का संथाल परगना इलाके में कमजोर संगठन है। यहां तक कि 2014 में जदयू के उम्मीदवार और आजसू के उम्मीदवार अपनी जमानत तक बचा पाने में नाकाम रहे थे। कुल मिलाकर यहां सीधा मुकाबला महागठबंधन और बीजेपी में होना है।

यहां के जातीय समीकरण को देखें तो मुस्लिम, यादव और आदिवासी मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं। करीब 3 लाख मुस्लिम, 2.5 लाख यादव, 1.5 लाख आदिवासी के साथ कुल 16 लाख 91 हजार 410 मतदाता हैं। जातिगत लिहाज से इस सीट पर मुस्लिम, यादव और आदिवासी का वोट बैंक असरदायक माना जाता है। 

2014 लोकसभा चुनाव में निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार फुरकान अंसारी को 60682 वोटों के अंतर से हराया था। निशिकांत दुबे को कुल 3,80,500 वोट मिले थे, जबकि फुरकान अंसारी को 319,818 मत मिले। झाविमो प्रत्याशी प्रदीप यादव 1,93506 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे। 2014 में नोटा में भी तकरीबन 1 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया।

बहरहाल अंतिम फैसला गोड्डा लोकसभा की जनता को करना है। 19 मई को वोट डालने के साथ ही प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला  ईवीएम में बन्द हो जाएगा। चुनाव के नतिजें 23 मई को आएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *