रांची। छोटी दीपावली के दिन देशभर में नरक चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन घर के “नरक” यानी गंदगी को साफ किया जाता है, क्योंकि जहां स्वच्छता और सुंदरता होती है, वहीं मां लक्ष्मी अपने परिवार सहित प्रवेश करती हैं। इस दिन यमराज की पूजा कर परिवार के सदस्यों की दीर्घायु और नरक से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है। कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी मुक्ति का पर्व है। इस दिन लोग गलतियों के प्रायश्चित के साथ यमराज से क्षमा मांगते हैं और दीर्घायु की कामना करते हैं। परंपरा के अनुसार, रात में जब परिवार के सभी सदस्य घर लौट आते हैं, तब गृहस्वामी “यम का दीपक” जलाकर घर के बाहर रखता है। यह दीपक यमराज को समर्पित होता है, जिससे माना जाता है कि परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु और संकटों से रक्षा मिलती है। कई घरों में विशेष रीत के तहत घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाता है, और फिर उसे घर से बाहर किसी स्थान पर रख आता है। इस दौरान अन्य सदस्य घर के भीतर ही रहते हैं और उस दीपक को नहीं देखते। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां और बुराइयां बाहर निकल जाती हैं, और घर में शांति, सुख और समृद्धि का वास होता है। नरक चतुर्दशी का यह पर्व दीपावली के मुख्य उत्सव का अग्रदूत माना जाता है, जो स्वच्छता, प्रकाश और सकारात्मकता के संदेश को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।