धनबाद। आईआईटी (आईएसएम) शताब्दी वर्ष मना रहा है। जिसके समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी धनबाद पहुंचे थे। आईआईटी (आईएसएम) पहुंचने पर के संस्थान के डायरेक्टर सुकुमार मिश्रा एवं अन्य अधिकारियों ने उन्हें पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। उसके बाद पैनमेन हॉल के अंदर संस्थान के अधिकारी उन्हें लेकर उन्हें पहुंचे। हॉल में ही समापन समारोह कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमे गौतम अडानी ने मंच से संबोधन किया। मुख्य समारोह के बाद गौतम अडानी टेक्समिन बिल्डिंग पहुंचे। जहां एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की। धनबाद के शताब्दी वर्ष समारोह में अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा कि एक ऐसे वैश्विक दौर में, जहाँ राष्ट्र अपने हितों को सर्वोपरि रख रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन लगातार कमजोर हो रहा हैं, भारत को अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना होगा। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता उसकी प्राकृतिक संपदाओं, ऊर्जा तंत्रों और तकनीकी क्षमता पर निर्भर करेगी। इसलिए भारत को अपनी जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप ही निर्णय लेने चाहिए, उन्होंने कहा, “भारत को वही करना चाहिए जो भारत के हित में हो।” अडाणी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आईआईटी (आईएसएम) धनबाद स्वयं उस दूरदर्शिता का परिणाम है, जिसकी नींव सौ साल पहले ब्रिटिश शासन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रखी थी। भारत के लिए खनन और भूविज्ञान में क्षमता निर्माण को आवश्यक मानते हुए इस संस्थान की स्थापना का सुझाव दिया गया था। उन्होंने कहा, “यदि हम अपने पैरों के नीचे बसे संसाधनों को समझें और उन ऊर्जा तंत्रों को नियंत्रित करें जो हमारी प्रगति को शक्ति देते हैं तो हम आर्थिक स्वतंत्रता की मजबूत नींव रखते हैं।” अडाणी ने चेताया कि आज विकसित राष्ट्र, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से भारी उत्सर्जन किए, विकासशील देशों को विकास मार्ग चुनने में प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यदि हम अपनी कथा पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो हमारी आकांक्षाओं को अवैध ठहराया जाएगा और हमारे बेहतर जीवनयापन के अधिकार को वैश्विक अपराध की तरह प्रस्तुत किया जाएगा।” उन्होंने डेटा का हवाला देते हुए कहा कि भारत दुनिया के सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल है, और 50% से अधिक नॉन-फॉसिल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी का लक्ष्य निर्धारित समय से पहले हासिल कर चुका है। इसके बावजूद वैश्विक ईएसजी ढाँचों में भारत के प्रदर्शन को कमतर आंकने की प्रवृत्ति विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पूर्वाग्रहों को दर्शाती है। अडाणी ने समूह की ऑस्ट्रेलिया स्थित कार्माइकल खदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विकसित की गई, बावजूद इसके कि यह “सदी की सबसे विवादास्पद पर्यावरणीय और राजनीतिक लड़ाइयों में से एक” रही। साथ ही उन्होंने गुजरात में 30 गीगावॉट क्षमता वाले खवडा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क का भी उल्लेख किया, जिसके बड़े हिस्से अब संचालित हो रहे हैं। कार्यक्रम में अडाणी ने संस्थान के लिए दो प्रमुख घोषणाएँ कीं जिनमे हर वर्ष 50 पेड इंटर्नशिप, जिसमें प्री-प्लेसमेंट अवसर भी शामिल होंगे। और अदाणी 3एस माइनिंग एक्सलेंस सेंटर की स्थापना, जिसे टेक्समिन के सहयोग से विकसित किया जाएगा। इसमें मेटावर्स लैब, ड्रोन फ्लीट, सिस्मिक सेंसिंग सिस्टम और प्रिसिजन माइनिंग टेक्नोलॉजी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। अडाणी ने कहा कि यह समय भारत के “दूसरे स्वतंत्रता संग्राम” का है। इस बार लक्ष्य है आर्थिक और संसाधन संप्रभुता। उन्होंने कहा, “लोग खनन को पुरानी अर्थव्यवस्था मान सकते हैं, लेकिन बिना खनन के नई अर्थव्यवस्था का निर्माण भी असंभव है।”