काठमांडू। नेपाल में बगावत और हिंसा की आग अब थमती नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी युवाओं के हिंसक आंदोलन के बाद राजधानी काठमांडू में हर तरफ तबाही के निशां दिख रहे हैं। संसद, सुप्रीम कोर्ट और ऊंची इमारतों से उठता धुआं बेशक शांत हो गया है, लेकिन आग और धुएं के काले धब्बे बता रहे हैं कि दो दिनों की आग में कितना विध्वंस हुआ है।सेना ने मंगलवार रात 10 बजे से पूरे देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। हिंसक प्रदर्शन को रोका गया। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, नेपाल में 30 मौतें और 1,033 घायल हुए हैं। 713 मरीज छुट्टी पा चुके हैं, 55 को रेफर किया गया और 253 नए मरीज भर्ती हुए।बुधवार को दिनभर Gen-Z युवा आंदोलनकारियों और सेना के बीच बातचीत जारी रही। युवा, जो 1997 से 2012 के बीच जन्मे हैं, इस आंदोलन की धुरी बने।इस बीच देश में अंतरिम सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। लोकल मीडिया की खबरों के अनुसार, सुशीला कार्की देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश, अंतरिम प्रधानमंत्री पद की दौड़ में आगे हैं। उन्हें Gen-Z का समर्थन मिला है। इसके अलावा रैपर से काठमांडू के मेयर बने बालेन शाह, रबि लामिछाने, कुलमान घिसिंग और हरका संपंग का नाम भी चर्चा में है।पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहली बार बयान जारी किया। उन्होंने युवाओं को खुली चिट्ठी लिखकर आंदोलन को पूर्व नियोजित साजिश बताया। कार्यालयों में आगजनी और कैदियों की रिहाई जैसी घटनाओं का आरोप लगाया।स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, नेपाल के सिविल सर्विस अस्पताल में 436 घायल मरीजों का इलाज चल रहा है। नेशनल ट्रॉमा सेंटर में 161 और एवरेस्ट अस्पताल में 109 मरीज भर्ती हैं। देशभर में 28 अस्पताल घायलों का उपचार कर रहे हैं।