बांग्लादेश के नक्शे में भारत के 7 राज्यों का हिस्सा दिखाया

नई दिल्ली : बांग्लादेश में जारी एक विवादित नक्शे को लेकर गुरुवार को संसद के उच्च सदन में हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मैप में भारत के सात राज्यों — पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, झारखंड और ओडिशा — के कुछ हिस्सों को ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का हिस्सा दिखाया गया है, जो गंभीर चिंता का विषय है। इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लिखित जवाब में कहा कि सरकार इस मामले पर कड़ी नजर बनाए हुए है और किसी भी प्रकार के प्रोपेगेंडा से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जयशंकर ने कहा, “भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं होगा। ऐसी हरकतों को भारत गंभीरता से लेता है।” विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह विवादित नक्शा 14 अप्रैल 2025 को ढाका यूनिवर्सिटी में आयोजित एक प्रदर्शनी के दौरान सामने आया था। इसमें कथित तौर पर ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ नामक एक इस्लामिक ग्रुप ने ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का मैप तैयार किया है, जिसमें भारत के कई सीमावर्ती क्षेत्र शामिल किए गए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसे किसी भी भ्रामक और उकसावे वाले प्रयास के खिलाफ राजनयिक और सामरिक स्तर पर जवाबी कार्रवाई की जाएगी। 3000 करोड़ के लोन फ्रॉड में अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट नोटिस मुंबई/नई दिल्ली, 1 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ए.डी.ए.जी.) के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ 3000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में लुकआउट नोटिस जारी किया है। यह नोटिस जारी होने के बाद अब अनिल अंबानी बिना ई.डी. के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर की मंजूरी के भारत नहीं छोड़ सकते। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि वह देश से बाहर जाने की कोशिश करते हैं, तो एयरपोर्ट या बंदरगाह पर उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है। ई.डी. ने अनिल अंबानी को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया है। इससे पहले एजेंसी ने पिछले सप्ताह उनके मुंबई और दिल्ली स्थित 50 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान 25 से ज्यादा लोगों से पूछताछ भी की गई थी। यह पूरा मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पी.एम.एल.ए.) की धारा 17 के तहत दर्ज किया गया है। ई.डी. का आरोप है कि ग्रुप की कंपनियों ने बैंकों से लिए गए कर्ज को कथित तौर पर अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया है। सूत्रों के अनुसार, ई.डी. को कुछ अंतरराष्ट्रीय लेनदेन और फर्जी दस्तावेजों के जरिए धन के दुरुपयोग के सुराग मिले हैं, जिन्हें लेकर अनिल अंबानी से सीधे पूछताछ की जाएगी। सरकारी एजेंसियों की इस बड़ी कार्रवाई को उद्योग जगत में गंभीर संकेत माना जा रहा है, जिससे कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बैंकों के कर्ज वितरण पर भी सवाल उठ सकते हैं।

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