बरहमपुर : बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान में गंगा किनारे बसे जाफराबाद गांव में एक हिंदू परिवार पर हुए क्रूर हमले ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। वक्फ संशोधन कानून के विरोध में पिछले सप्ताह शुक्रवार को हिंसा भड़की थी और एक दिन बाद शनिवार को दंगाई इस परिवार पर टूट पड़े थे।दंगाइयों ने 65 वर्षीय हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास को मौत के घाट उतार दिया था। इस नृशंस हत्याकांड को परिवार की महिलाओं और बच्चों ने अपनी आंखों से देखा। इनका कहना है कि दोनों के शरीर का ऐसा कोई भाग नहीं था, जहां जख्म नहीं थे। पिता और पुत्र की अर्थियां एक साथ उठीं थीं। इस वारदात के छह दिन बीत जाने के बाद भी जाफराबाद गांव में हरगोबिंद दास के घर पर हमले के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। घर का सामान बिखरा पड़ा है। दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दी गई हैं। दीवारों पर हिंसा की क्रूरता की कहानी साफ झलकती है। घर के एक कोने में बैठी हरगोबिंद की पत्नी और चंदन की मां पारुल दास (65) सिसकियां भर रही हैं। उनकी आंखों से आंसुओं की धारा थमने का नाम नहीं ले रही। वह बार-बार कहती हैं कि टाका आर बाड़ी लागबे ना गो दीदी, हिंदू बोले कि आमार स्वामी आर छेले के केरे निलो? (पैसा और घर की जरूरत नहीं है दीदी, हिंदू होने की वजह से क्या मेरे पति और बेटे को मार डाला?)।यहां दीदी का मतलब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से है। पारुल दास ने बताया कि शुक्रवार की रात हिंसा की शुरुआत के बाद शनिवार सुबह अनेक दंगाई गांव में घुस आए। उन्होंने घरों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। लूटपाट मचाई और हिंदू परिवारों को निशाना बनाया। मेरे घर पर दो बार हमला हुआ। प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि हमारा किसी से कोई झगड़ा नहीं था। फिर हिंदुओं पर इतनी क्रूरता क्यों? एक दिन में एक घर से दो अर्थियां उठे, यह कैसे सहा जाए? हिंसा के बाद परिवार पूरी तरह टूट चुका है। पारुल, आकाश और श्रावणी किसी भी सरकारी मदद की उम्मीद नहीं रखते।उनकी एकमात्र मांग है- हमें कुछ नहीं चाहिए, बस न्याय चाहिए।