जयपुर : राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों में जागरुता आने से दिवाली पर मिट्टी के दीयों से रोशनी करने के प्रति रुझान बढ़ने लगा है और साथ ही गाय के गोबर से बने दीयों को भी बढ़ावा मिलने लगा हैं और इस बार रोशनी के पर्व दीपावली पर गो संवर्द्धन एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए राजधानी जयपुर सहित कई क्षेत्रों में मिट्टी के बने दीयों के साथ गाय के गोबर से बने दीपकों की रोशनी जगमगायेगी।
जयपुर के विभिन्न स्वयं सहायता महिला समूह से जुड़ी महिलाओं ने अपनी अथक मेहनत से इन गोमय दीपकों को तैयार किया हैं। हैनिमन चेरिटेबल सोसायटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने बताया कि पिछले दो महीनों से महिलाएं गाय के गोबर से ये दीपक बनाने में जुटी है। श्रीमती गुप्ता ने बताया कि टोंक रोड स्थित पिंजरापोल गौशाला के वैदिक पादप अनुसंधान केन्द्र में बड़ी संख्या में गाय के गोबर से दीपक तैयार किए गए हैं। माता रानी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्रतिदिन लगभग पांच हजार दीपक बना रही हैं। यह कार्य इन महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक आजीविका दोनों प्रदान कर रहा है, साथ ही ग्रामीण कारीगरों और गौशालाओं को भी आर्थिक सहयोग का माध्यम बन रहा है।
उन्होंने बताया कि ये दीपक देसी नस्ल की गाय के गोबर और दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों से निर्मित हैं। इनमें जटामासी, अश्वगंधा, रीठा, देसी घी, मोरिंगा पाउडर, काली हल्दी, नीम, तुलसी और अन्य प्राकृतिक तत्व सम्मिलित किए गए हैं। जब ये दीपक जलते हैं, तो उनसे न केवल उजाला फैलता है बल्कि हवन सामग्री जैसी दिव्य सुगंध भी वातावरण में व्याप्त हो जाती है। यह विशिष्ट संयोजन दीपों को आध्यात्मिक और औषधीय दोनों दृष्टियों से उपयोगी बनाता है।