सरना धर्मकोड पर मचा सियासी घमासान, बीजेपी और जेएमएम आमने-सामने

रांची : सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर एक बार फिर छिड़े सियासी घमासान के बीच सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा को निशाने पर लिया है। पार्टी महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने भाजपा नेताओं से पूछा है कि आदिवासियों के लिए विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित सरना आदिवासी धर्म कोड को कब मान्यता मिलेगी? पांडेय ने आरोप लगाया कि भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया है। झारखंड के हित से भाजपा का कोई सरोकार नहीं है। भाजपा नेताओं की नजर आदिवासियों की जमीन पर है। वे इसे लूटकर अपने कारपोरेट मित्रों को देना चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में यह संभव नहीं है।  भाजपा को राज्य की जनता नकार चुकी है। भाजपा नेताओं की चाल लोग समझ चुके हैं। सरना कोड को लेकर भाजपा भ्रम फैला रही है। 11 वर्षों से केंद्र में भाजपा का शासन है। भाजपा के नेताओं को इसपर रुख स्पष्ट करना चाहिए और केंद्र सरकार पर विधेयक को मंजूरी देने के लिए दबाव बनाना चाहिए।  भाजपा को राज्य की जनता नकार चुकी है। भाजपा नेताओं की चाल लोग समझ चुके हैं। सरना कोड को लेकर भाजपा भ्रम फैला रही है। 11 वर्षों से केंद्र में भाजपा का शासन है। भाजपा के नेताओं को इसपर रुख स्पष्ट करना चाहिए और केंद्र सरकार पर विधेयक को मंजूरी देने के लिए दबाव बनाना चाहिए।  भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेसहै। यूपीए की सरकार में तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री वी किशोर चंद्रदेव ने 11 फरवरी, 2014 को सरना धर्म कोड को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया था। आदिवासी कल्याण मंत्री किशोर चंद्र देव ने यह भी कहा था कि ऐसी मांग को मानने से दूसरे धर्म से भी मांग आ सकती है। जब दोनों दल केंद्र में सत्ता में थे तो इसे खारिज किया था। आज केंद्र में सत्ता से बाहर है तो इस पर आंदोलन करने की बात कर रहे हैं। जनता इनकी सारी चालबाजियों को समझती है। कांग्रेस और झामुमो ने बेशर्मी की सारी सीमाओं को तोड़ दिया है। दोनों दल आंदोलन और धरना प्रदर्शन की बातें कर रहे हैं। सर्वप्रथम इन दोनों दलों को सरना आदिवासी समाज से अपने कुकृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहिए। कांग्रेस ने 50 वर्षों से ज्यादा समय तक देश में शासन किया। झामुमो भी लंबे समय तक इनकी पिछलग्गू बनी रही, लेकिन आदिवासी हित में कोई कार्य नहीं किया। झामुमो और कांग्रेस किस मुंह से आंदोलन की बात कर रहे हैं, ये समझ से परे है। प्रेस वार्ता में रांची महानगर के मंत्री अजीत भगत, एसटी मोर्चा के महानगर महामंत्री अशोक मुंडा, महिला मोर्चा की मीडिया सह प्रभारी सोनी हेंब्रम उपस्थित थे।

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