नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अडानी ग्रुप को संपत्ति बेचने की अनुमति मांगने वाली सहारा कंपनी की याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए टाल दी है। कंपनी ने महाराष्ट्र स्थित एम्बी वैली परियोजना और लखनऊ स्थित सहारा शहर सहित 88 संपत्तियों को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति देश की शीर्ष अदालत से अनुमति मांगी थी :भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एमएम सुंदरेश की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगे जाने पर चार सप्ताह का समय दिया। अब मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद के लिए निर्धारित की गई है।दरअसल है अडानीप्रॉपर्टीज इन सभी संपत्तियों को एक साथ खरीदने के लिए तैयार है. पिछली सुनवाई (14 अक्टूबर) में अडानीकी तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया था कि वे सभी 88 संपत्तियों को ‘जैसी है, जिस हाल में है’ (As is where is) के आधार पर खरीदने को राजी हैं. अडानी ग्रुप का कहना है कि वे विवादित संपत्तियों को भी ले लेंगे ताकि लंबी कानूनी लड़ाई से बचा जा सके और डील जल्दी पूरी हो. सहारा ग्रुप ने साफ किया है कि इस बिक्री से मिलने वाला पूरा पैसा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ‘सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट’ में जमा किया जाएगा, ताकि निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके. इस पूरी कानूनी पेचीदगी के बीच सबसे ज्यादा पिस रहे हैं सहारा के कर्मचारी और छोटे निवेशक. सुनवाई के दौरान सहारा के कर्मचारियों की बकाया सैलरी का मुद्दा भी उठा, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल इसे भी टाल दिया है. कोर्ट के सलाहकार (Amicus Curiae) वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने एक चौंकाने वाली बात रखी. उन्होंने कहा कि उनके पास अभी भी ऐसी संपत्तियों के दावे आ रहे हैं, जिनका खुलासा सहारा ने किया ही नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि कंपनी को अपनी वेबसाइट पर सभी संपत्तियों की लिस्ट डालनी चाहिए.