रांची। नगड़ी इलाके में प्रस्तावित रिम्स-2 मेडिकल कॉलेज की जमीन को लेकर किसानों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। किसानों ने 24 अगस्त को ‘हल जोतो, रोपा रोपो’ आंदोलन का ऐलान किया है। आंदोलन की कमान पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने संभाल ली है। इधर प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए प्रस्तावित रिम्स-2 परिसर के 200 मीटर दायरे में निषेधाज्ञा लागू कर दी है।किसानों का आरोप है कि सरकार बिना नोटिस दिए उनकी उपजाऊ जमीन पर कब्जा कर रही है। उनका कहना है कि इससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। चंपई सोरेन ने साफ कहा कि आंदोलन अस्पताल निर्माण के खिलाफ नहीं है, बल्कि आदिवासी और मूलवासी किसानों की उपजाऊ जमीन छीने जाने के विरोध में है।उन्होंने कहा कि “हजारों किसान 24 अगस्त को नगड़ी में हल चलाकर साबित करेंगे कि कोई ताकत उन्हें खेती से रोक नहीं सकती।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य गठन का संघर्ष हमेशा आदिवासी और मूलवासी अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ था, और अब वही किसान अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।सोरेन ने सवाल उठाया कि जब बंजर जमीन और लैंड बैंक उपलब्ध है तो सरकार ने अधिग्रहण की वैधानिक प्रक्रिया पूरी किए बिना किसानों को खेती से रोकने का आदेश किस आधार पर जारी किया। उन्होंने आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन पर कब्जे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।स्वास्थ्य मंत्री क्या कहते हैंइस मामले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का कहना है कि नगड़ी की जमीन रिम्स-2 के लिए उपयुक्त है और वहां अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधा स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने दावा किया कि रिम्स-2 की प्रस्तावित जमीन को लेकर किसानों का आरोप गलत है।