हाईकोर्ट सख्त, रिम्स में खाली पद भरने का आदेश

रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में रिम्स में रिक्त पदों पर भरने और मेडिकल उपकरण खरीदने के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने रिम्स निदेशक को रिक्त पदों पर चार सप्ताह में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। अदालत ने नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर कोर्ट को इसकी जानकारी भी देने को कहा है। अदालत ने निदेशक को योगदान देने के बाद से सरकार से कितना फंड मिला और राशि से किन-किन उपकरणों और मशीनों की खरीद की गई और कितनी राशि वापस की गई। एमआरआइ सहित अन्य मशीनें अभी तक क्यों नहीं खरीदी गई हैं। इसकी जानकारी शपथपत्र के माध्यम से सात अगस्त तक देने को कहा है। एनपीए लेने वाले जिन डॉक्टरों की उपस्थिति कम है, उन पर अभी तक क्या कार्रवाई की गई है या फिर क्या कार्रवाई करने की योजना है। इससे भी कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है। सात अगस्त को अदालत ने निदेशक को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश के आलोक में स्वास्थ्य सचिव और रिम्स निदेशक अदालत में उपस्थित हुए। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि रिम्स को जो राशि जारी की जाती है उसका उपयोग क्यों नहीं होता है। राशि के बारे में विभाग जानकारी क्यों नहीं लेता हैं। राशि खर्च नहीं होने पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। इस पर सचिव ने कहा कि रिम्स स्वायत्तशाषी संस्था है। रिम्स की संचालन समिति है। समिति के निर्णय के अनुसार ही राशि खर्च की जाती है। सरकार समय- समय पर फंड देती है। प्रार्थी ज्योति शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल कर रिम्स में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं किए जाने और जरूरी मशीन नहीं होने का मामला उठाया गया है। इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव और रिम्स निदेशक को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया था। सरकार की ओर से बताया गया कि रिम्स को फंड दिए जाते हैं और रिम्स की ओर से फंड वापस भी किया जाता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट के बताया गया था कि रिम्स के कई चिकित्सक निजी प्रैक्टिस नहीं करने का भत्ता भी लेते हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने ऐसे सभी चिकित्सकों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस लेकर कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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