नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 15 सितंबर को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम राहत के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ सुबह 10.30 बजे आदेश सुनाएगी। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 22 मई को कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुनवाई तीन दिनों तक चली थी। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, बल्कि दान की एक व्यवस्था मात्र है। उन्होंने कहा कि दान हर धर्म में मौजूद है, इसलिए इसे किसी एक धर्म का मूल सिद्धांत नहीं माना जा सकता। केंद्र ने यह भी आश्वासन दिया था कि किसी भी वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा और न ही वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति की जाएगी। मेहता ने तर्क दिया कि “वक्फ बाई यूज़र” (user-created waqf) कोई मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि विधायी नीति पर आधारित प्रावधान है, जिसे कभी भी बदला या हटाया जा सकता है। केंद्र ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ अपने स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है और संवैधानिकता की धारणा को देखते हुए इसके क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।

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