हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: पूर्व DSE फरहाना की बर्खास्तगी रद्द, सरकार को लगा झटका

रांची : जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में सेवा से बर्खास्त लोहरदगा की तत्कालीन डीएसई की ओर से सरकार के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी को राहत प्रदान करते हुए बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार की ओर से नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया। इसलिए सरकार का आदेश निरस्त किया जाता है। हालांकि अदालत ने विभाग को इस मामले में फिर से जांच करने की छूट प्रदान की है। इस संबंध में फरहाना खातून की ओर से हाई कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रेम पुजारी राय ने अदालत को बताया कि प्रार्थी वर्ष 2007-08 में लोहरदगा में तैनात थीं। उस दौरान उन पर अनियमितता करने का आरोप लगा था। उन पर विभागीय कार्रवाई चलाई गई और फिर वर्ष 2016 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। प्रार्थी की ओर से कहा गया कि उनके मामले में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया। उनके मामले में किसी की गवाही नहीं कराई गई। सिर्फ दस्तावेज के आधार पर ही सेवा से बर्खास्त कर देना उचित नहीं है। विभाग की ओर से स्वीकार किया गया कि इस मामले में किसी की गवाही नहीं हुई थी, जबकि दस्तावेज को सत्यापित करने के लिए गवाह की जरूरत पड़ती है और प्रार्थी को गवाह का प्रति परीक्षण करने का मौका मिलता है। इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला दिया गया। इसमें कहा गया है कि सिर्फ दस्तावेज के आधार पर किसी को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता है। अदालत ने प्रार्थी की दलीलों को स्वीकार करते हुए सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया गया, जिसमें प्रार्थी को बर्खास्त करने का आदेश दिया गया था।

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