रांची ; पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन ने आदिवासी समाज की जमीन, पहचान और अधिकारों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। सोशल मीडिया पर जारी बयान में उन्होंने दावा किया कि “बांग्लादेशी घुसपैठिये” आदिवासी जमीनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं, बहु-बेटियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं और विवाह संबंधों के ज़रिए सामाजिक ताना-बाना कमजोर कर रहे हैं। चंपाई सोरेन ने कहा कि ऐसे तत्व संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था में भी अतिक्रमण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि SIR लागू होने के बाद घुसपैठियों की पहचान आसान होगी और उन्हें चुनावी प्रक्रिया और देश की सीमा से बाहर किया जा सकेगा। उन्होंने धर्मांतरण को दूसरा बड़ा खतरा बताते हुए चेतावनी दी कि तेज़ी से बढ़ते धर्मांतरण के कारण आदिवासी पवित्र स्थलों जैसे जाहेर स्थान और सरना स्थलों पर पूजा-पाठ करने वालों की संख्या प्रभावित हो सकती है। चंपाई सोरेन ने स्पष्ट किया कि जो लोग धर्मांतरण कर चुके हैं, उन्हें अपने नए धर्म में रहने की स्वतंत्रता है, लेकिन उन्हें आदिवासी आरक्षण और संवैधानिक लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसे मामलों में उन्होंने “डीलिस्टिंग” की मांग की है, जिससे आदिवासी समाज की परंपरा और सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रहे।