झारखंड में गिग श्रमिकों को मिला कानूनी संरक्षण, राज्यपाल की मंजूरी

रांची : राज्य सरकार द्वारा मानसून सत्र के दौरान विधानसभा से पारित झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक (निबंधन एवं कल्याण) विधेयक, 2025 को अब राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही राज्य में गिग श्रमिकों के कल्याण से जुड़ा यह कानून लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का होगा गठन विधेयक के तहत गिग श्रमिकों के लिए एक अलग कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड का मुख्यालय रांची में होगा। श्रम मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होंगे, जबकि श्रम विभाग के सचिव समेत पांच अन्य सदस्य बोर्ड में शामिल होंगे। बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। इसी बोर्ड के माध्यम से गिग श्रमिकों और प्लेटफॉर्म सर्विस देने वाली कंपनियों यानी एग्रीगेटर्स का पंजीकरण सुनिश्चित किया जाएगा। न्यूनतम पारिश्रमिक और सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था नए कानून के तहत गिग श्रमिकों को कार्य में लगाए गए समय और तय दूरी के आधार पर न्यूनतम पारिश्रमिक दिया जाएगा। उनके लिए सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं समय-समय पर तैयार की जाएंगी। यह भी प्रावधान किया गया है कि कल्याण अंशदान की लागत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं या गिग श्रमिकों पर नहीं डाली जाएगी। सभी एग्रीगेटर्स का पंजीकरण अनिवार्य होगा। राज्य में एग्रीगेटर द्वारा गिग श्रमिकों को शामिल करने वाले परिचालनों से अर्जित वार्षिक टर्नओवर का 1 से 2 प्रतिशत तक कल्याण अंशदान लिया जाएगा। गिग श्रमिकों को मिलेंगे नए अधिकार राज्य सरकार से पंजीकरण कराने पर गिग श्रमिकों को एक विशेष पहचान पत्र (आईडी) मिलेगा। वे न्यूनतम पारिश्रमिक के हकदार होंगे और सुरक्षित कार्य परिस्थितियों में काम करने का अधिकार प्राप्त करेंगे। काम की शर्तों या अन्य मानकों को लेकर वे कल्याण बोर्ड की सलाह ले सकेंगे। इसके अलावा श्रमिकों को कम से कम साप्ताहिक आधार पर भुगतान करना अनिवार्य होगा। नियम उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करने पर एग्रीगेटर्स पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दोषसिद्धि के बाद भी यदि उल्लंघन जारी रहता है तो सुधार होने तक प्रतिदिन 5 हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना देना होगा। किसी भी अपराध की स्थिति में कंपनी के निदेशक, प्रबंधक, कंपनी सचिव या संबंधित अधिकारी को दोषी मानते हुए कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है। इस कानून के लागू होने से झारखंड में गिग श्रमिकों को न केवल पहचान और सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उनके कार्य और पारिश्रमिक को भी कानूनी संरक्षण प्राप्त होगा।

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