बिहार में एनडीए ने 40 सीटों में से 39 लाकर यूपीए का लगभग सफाया कर दिया साथ ही एनडीए को जीत देकर वहां की जनता ने साबित कर दिया कि उसके लिए इन दलों का साथ पसंद है। 2009 में भी भाजपा और जदयू को 32 सीटें मिली थीं। बात अगर 2014 की करें तो जदयू भाजपा से अलग होकर मैदान में उतरी और मात्र दो सीट ही ला सकी वहीं एनडीए को 31 सीटें मिली थीं।
बात अगर लोजपा की करें तो इस बार वह सौ प्रतिशत मैदान मार ले गई। 2014 में एनडीए का हिस्सा बनने वाली लोजपा सात सीटों पर लड़ी और छह पर विजयी हुई थी। साफ था कि यह मोदी का ही करिश्मा था।
वर्ष 2009 में कांग्रेस और राजद अलग-अलग चुनाव लड़े तब भी कांग्रेस को दो ही मिलीं और 2014 में दोनों दल एक साथ लड़े तब भी कांग्रेस को दो ही सीटें मिलीं। वहीं राजद की बात करें तब 2009 में लोजपा के साथ चुनाव लड़कर उसने चार सीटें जीती थीं और 2014 में कांग्रेस के साथ मिलकर भी चार सीटें जीती थी।
इस बार 2019 में एनडीए के सहयोगी दलों में भाजपा, जदयू और लोजपा ने साथ मिल कर चुनाव लड़ा तो भाजपा 17 में 17 सीट, लोजपा 6 में 6 सीट और जदयू 17 में 16 पर जीत दर्ज की। वहीं महागठबंधन में मात्र कांग्रेस पार्टी को ही एक सीट किशनगंज में विजय हुई है।