शहीदों के सपनों जैसा बनाएंगे झारखंड – रघुवर दास

देश के वीर सपूतों को नमन. शहीदों की शहादत पर हर हिंदुस्तानी को गर्व है. शहीदों की शौर्य गाथा आज भी हमें प्रेरित करती है और आगे भी करेगी. मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने शहीद स्थल सह स्मारक समिति में झंडोत्तोलन और तिरंगे को सलामी देते हुए कहा कि शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने के लिए सरकार कृतसंकल्प है. उन्होंने राज्यवासियों को देश की 72 वीं वर्षगांठ और रक्षा बंधन की शुभकामनाएं हुए कहा कि न्यू झारखंड बनने की राह पर राज्य के कदम बढ़ चुके हैं. हमार राज्य खनिज संसाधनों के मामले में देश का सबसे समृद्ध राज्य है. इन संसाधनों की बदौलत अगले 10 सालों में झारखंड को एक ऐसा राज्य बनाएंगे जो दुनिया के विकसित राष्ट्रों के समकक्ष खड़ा होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी इस पहल को राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों का आशीर्वाद मिल रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नया भारत का निर्माण हो रहा है. जम्मू- कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले धारा 370 और 35 ए की समाप्ति इस दिशा में अहम कदम है. अब पूरे देश के लिए एक कानून है. धारा-370 खत्म होने से अलगाववाद और आतंकवाद का भी सफाया हो जाएगा. देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाला खुद समाप्त हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस फैसले से अब जम्मू कश्मीर वास्तिक रुप से अखंड भारत का हिस्सा बन गया है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री के साथ गृह मंत्री श्री अमित शाह को बधाई दी.

मुख्यमंत्री कहा कि देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले राज्य के शहीदों के सम्मान में रांची स्थित पुरानी जेल में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा लगाई जाएगी. यहां लाइट एंड साउंड प्रोग्राम के जरिए शहीदों की गाथा को पूरे देश-दुनिया में दिखाया जाएगा. इसके साथ यहां स्थित पार्क में शहीद जवानों की शौर्य गाथा लिखी जाएगी, ताकि यहां आनेवाले लोग इससे अवगत हो सकें. आगामी 15 नवंबर तक इसकी शुरुआत कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि शहीदों के गांवों को आदर्श गांव के तौर पर भी विकसित कर रही है. यहां शहीदों के परिजनों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है.

राजधानी रांची में स्थित शहीद स्मारक देश के स्वाधीनता आंदोलन का गवाह रहा है. इस पवित्र स्थल पर 1857 स्वाधीनता आंदेलन में शामिल वीर सपूतों को ब्रिटिश हूकुमत ने फांसी दे दी थी. देश की आजादी के लिए हंसते-खेलते सूली पर लटकने वाले इन वीर सपूतों में अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव और अमर शहीद पांडेय गणपत राय सहित कई और ज्ञात व अज्ञात शहीद शामिल हैं. आज इस स्थल का उपयोग सिर्फ शहीदों के सम्मान और देशभक्ति के कार्यक्रम के लिए किया जाता है.

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