झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झामुमो के विधायकों ने भारतीय वन अधिनियम (1927) में प्रस्तावित संशोधन के विरोध में आज विधानसभा के बाहर हाथों में तख्तियां ले जिस में प्रस्तावित संशोधन के विरोध में नारे लिखे हुए थे।
हेमन्त ने कहा कि झारखंड जंगल और नदियों का प्रदेश है। संशोधन विधेयक में वन अधिकारियों को गोली मारने का अधिकार दिया गया है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी झामुमो ने दूसरे आदिवासी संगठनों के साथ पूरे देश में वन अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया था और इसी कारण इस वर्ष फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने संशोधन विधेयक पर रोक लगा दी थी। रोक के बावजूद सरकार एक बार फिर इस अधिनियम में संशोधन करने का प्रयास कर रही है, जिसे झामुमो कभी स्वीकार नहीं करेगा।
वहीं, कांग्रेस के विधायक सुखदेव भगत के नेतृत्व में कांग्रेस के विधायकों ने सरना धार्मिक संहिता को मान्यता देने की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरना धर्म को मानने वाले लगभग 70 लाख अनुयायी हैं, उनके अधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि सरना समुदाय की मांग सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर न रह जाए।