भाजपा, दो सीट छोड़कर अन्य सभी पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। हुसैनाबाद में पार्टी ने निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया है, वहीं सिल्ली में आजसू सुप्रीमों सुदेश महतो के खिलाफ अपना कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है। पार्टी ने 2014 के चुनाव के 43 सीटिंग विधायकों में से 13 विधायकों का टिकट काटा है। टिकट कटने वालों में मंत्री सरयू राय भी शामिल हैं। किसे टिकट दिया जाए किसे नहीं, इसको लेकर अंदरुनी तौर पर पार्टी ने तीन सर्वे करवाये थे। झारखंड से लेकर राजधानी दिल्ली तक कई दौरों की मैराथन बैठकें चली, गहन चिंतन किया गया, तब जाकर पार्टी किसी नतीजे पर पहुंची।
सूत्र के अनुसार, टिकट वंटवारे में अहम भूमिका मुख्यमंत्री रघुवर दास की रही उसके बाद धर्मपाल, अर्जुन मुंडा, सौदान सिंह और कुछ हद तक संघ के नेताओं की चली। सूत्र की माने तो सीटिंग विधायकों का टिकट कटने का कोई एक कारण नहीं है। फिर भी ज्यादातर वैसे विधायकों का टिकट कटा है, जो पिछले पांच सालों से लगातार सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरते चले आ रहे थे और कुछ ने आशा अनुरुप क्षेत्र में कार्य नहीं किया। हलांकि पार्टी ने कुछ वैसे जमीनी कार्यकर्ता को टिकट देकर यह संदेश देने का काम किया है, कि जो कार्यकर्ता लगातार सक्रिय रह कर पार्टी के लिए काम करते रहेंगे उन्हें पार्टी मौका देगी। वैसे लोगो में प्रमुख नाम सिमरिया के किशुन दास, मनिका के रघुपाल सिंह, गुमला के मिसिर कुजूर, घाटशिला के लखन मार्डी का है। वैसे देखा जाए तो भाजपा से टिकट कटने वालों में से तीन बागी होकर मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।