नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची आज जारी कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, अंतिम सूची में 19 लाख 6 हजार 657 लोग बाहर हैं। इसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने कोई दावा पेश नहीं किया था। 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को वैध करार दिया गया है। कहा गया है कि अगर कोई लिस्ट से सहमत नहीं है तो वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। यह लिस्ट इंटरनेट और राज्य के 2500 एनआरसी सेवा केंद्रों, 157 अंचल कार्यालय और 33 जिला उपायुक्त कार्यालयों में उपलब्ध होगी।
पिछले साल 3.29 करोड़ लोगों में से जारी की गयी एनआरसी सूची में 40.37 लाख लोगों का नाम नहीं था। अंतिम सूची में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।
हिंसा और सांप्रदायिक झड़पों की आशंकाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। गृह मंत्रालय ने भी लोगों से शांति की अपील की है। पुलिस द्वारा लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की गई है। गुवाहाटी समेत 5 जिलों में धारा 144 लागू है। प्रशासन सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए हुए है।
इधर सांसद मनोज तिवारी ने भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में भी एनआरसी लागू करने की जरूरत है। दिल्ली की स्थिति भयावह हैं, यहां भी अवैध रूप से रह रहे लोगों के कारण राजधानी में स्थिति ठीक नहीं है।
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां बसे किसी भी भारतीय को डरने की जरूरत नहीं है, सरकार उनके साथ है। अंतिम सूची में जिनका नाम नहीं होगा, उनकी चिंताओं पर राज्य सरकार ध्यान देगी।
बता दें कि असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटिजन रजिस्टर है। यहां एनआरसी कार्यालय 2013 में बना था और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काम 2015 से शुरू हुआ। पहली लिस्ट 2017 और दूसरी लिस्ट 2018 में प्रकाशित हुई थी। इस कार्य में 62 हजार कर्मचारी 4 साल से लगे थे।
असम में कुल 33 जिले हैं, इनमें से 9 जिलों में मुस्लिम आबादी आधे से अधिक है और बताया जा रहा है कि इन्हीं जिलों में बांग्लादेशियों की घुसपैठ काफी हुई है।