मोदी ने देवभूमि द्वारका, जामनगर, पोरबंदर को 4100 करोड़ रु की विकास परियोजनाओं की दी सौगात

देवभूमि द्वारका : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को गुजरात में देवभूमि द्वारका, जामनगर और पोरबंदर जिले को 4100 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं की सौगात दी।
श्री मोदी ने इस अवसर पर कहा,“ आज की पीढ़ी नए भारत का निर्माण होते देख रही है। गुजरात सहित देश भर में चल रहे मेगा प्रोजेक्ट्स के कारण नए भारत की नई तस्वीर बनी है। भारत ने आधुनिक कनेक्टिविटी के माध्यम से समृद्धि और सशक्त राष्ट्र निर्माण की राह बनाई है।” श्री मोदी ने पौराणिक नगरी द्वारका में आज देवभूमि द्वारका, जामनगर और पोरबंदर जिले के लिए 4100 करोड़ रुपए की विभिन्न विकास परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह में यह बात कही। इस अवसर पर उन्होंने देश के सबसे लंबे केबल-आधारित ब्रिज का उद्घाटन भी किया। राज्स के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उनके साथ मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आधुनिक सुविधाओं के विकास से विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2022 में 85 लाख विदेशी सैलानियों ने भारत की यात्रा की थी। इनमें से अकेले गुजरात में ही 15.50 लाख विदेशी पर्यटक आए थे। ई-वीजा के अलावा पर्यटन स्थलों की कनेक्टिविटी में हुई वृद्धि और सुविधाओं के कारण विदेशों में भारत के पर्यटन स्थलों के प्रति आकर्षण बढ़ा है और इस वजह से गुजरात में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
उन्होंने कहा कि सुदर्शन सेतु ओखा और बेट द्वारका द्वीप को जोड़ने के साथ ही भगवान द्वारकाधीश के दर्शन को और अधिक आसान बनाएगा और उसकी दिव्यता को चार चांद लगाएगा। यह ईश्वर रूपी जनता-जनार्दन के सेवक मोदी की गारंटी है। उन्होंने कहा कि सुदर्शन सेतु केवल एक सुविधा नहीं है, बल्कि इंजीनियरिंग कौशल का अद्भुत उदाहरण भी है। स्ट्रक्चरलर इंजीनियरिंग का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को इस सेतु का अध्ययन करना चाहिए। यह सुदर्शन सेतु भारत का सबसे लंबा केबल-आधारित पुल है। सुदर्शन सेतु के कारण ओखा एक बार फिर से दुनिया के नक्शे में चमकेगा। ओखा के भव्य भूतकाल की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि किसी दौर में ओखा व्यापारिक बंदरगाह के रूप में प्रसिद्ध था। ओखा की साख इतनी ज्यादा थी कि यहां से भेजी जाने वाली चीजों को उत्तम गुणवत्तापूर्ण माना जाता था। रशिया के अस्ट्राखान प्रांत में आज भी अच्छे से अच्छे स्टोर या मॉल के नाम से पहले ओखा लगाया जाता है। वहां ओखा शब्द उत्तम गुणवत्ता का पर्याय है।
प्रधानमंत्री ने कहा , “पहले बेट द्वारका के लोगों और भगवान द्वारकाधीश के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को फेरी बोट पर निर्भर रहना पड़ता था। इस समस्या के निवारण के लिए यहां एक पुल बनाने के लिए उन्होंने तत्कालीन केंद्र सरकार से कई बार मांग की थी, लेकिन उस समय की केंद्र सरकार ने यह काम नहीं किया। शायद भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन सेतु का निर्माण भी मेरे ही भाग्य में लिखा था। परमात्मा के आदेश का पालन करते हुए यह दायित्व मैंने निभाया है।” उन्होंने सुदर्शन सेतु की विशेषताओं की जानकारी भी विस्तार से दी। पुरानी सरकारों की कार्यशैली के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल सत्ता बचाने के लिए ही शासन किया था। देश के हित के बारे में विचार करने के बजाय उन लोगों ने केवल एक ही परिवार को आगे बढ़ाने का काम किया है। नागरिकों की सुविधा बढ़ाने के लिए उनकी नीयत और निष्ठा में खोट थी। अतीत के शासकों ने केवल घोटाले ही किए।
श्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा कि देश में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का समय आया तो टू-जी घोटाला कर दिया, खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने का अवसर आया तो कॉमनवेल्थ घोटाला कर दिया, और जब डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की बारी आई तो हेलीकॉप्टर और सबमरीन घोटाला कर पुरानी सरकारों ने देश की जरूरतों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा, “ वर्ष 2014 में जब मैंने केंद्र में शासन की कमान संभाली तब यह वादा किया था कि मैं देश को लुटने नहीं दूंगा। पिछले 10 वर्षों में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनने के साथ ही नव्य और भव्य कार्य हो रहे हैं।”
देश में हो रहे आइकॉनिक मेगा प्रोजेक्ट्स का गर्व के साथ उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश की चारों दिशाओं में विकास कार्य हो रहे हैं और उसका लाभ आम नागरिकों को मिल रहा है। उन्होंने गुजरात के पर्यटन क्षेत्रों के विकास की पृष्ठभूमि में कहा कि द्वारका, सोमनाथ, पावागढ़, मोढेरा और अंबाजी जैसे तीर्थ स्थानों में पर्यटकों के लिए नई सुविधाएं विकसित की गई हैं। हेरिटेज सिटी अहमदाबाद, रानी की वाव (बावड़ी), चांपानेर और धोलावीरा को विश्व विरासत का दर्जा मिला है, तो कच्छ के धोरडो को यूनेस्को ने “सर्वश्रेष्ठ गांव “का सम्मान दिया है। द्वारका के निकट शिवराजपुर बीच को भी ब्लू टैग मिला है और वहां भी विकास कार्य किए जा रहे हैं। रणोत्सव, नडाबेट, गिर अभयारण्य, गिरनार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और लोथल जैसे स्थलों का भरपूर विकास हुआ है।
उन्होंने कहा,“ हमारी सरकार ‘विकास भी, विरासत भी’ के मंत्र के साथ आस्था के केंद्रों को संवार रही है। किसी समय सौराष्ट्र में व्याप्त पानी की किल्लत की याद दिलाते हुए उन्होंने सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई (एसएयूएनआई) योजना का उल्लेख किया और कहा कि इस योजना के माध्यम से सौराष्ट्र और कच्छ में सिंचाई तथा पीने के लिए मां नर्मदा का पानी पहुंचा है। इसके कारण किसान, पशुपालक और सागरखेड़ू (मछुआरे) आर्थिक रूप से संपन्न हुए हैं।” उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र की धरती संकल्प से सिद्ध की प्रेरणा देती है। सौराष्ट्र और गुजरात समृद्धि के शिखर पर पहुंचेंगे तथा विकसित सौराष्ट्र से विकसित गुजरात और विकसित भारत का निर्माण होगा।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर स्थानीय लोगों से यह आह्वान किया कि वे द्वारका तीर्थ स्थान को स्वच्छ बनाए रखें ताकि यह नगरी श्रद्धालुओं के मन में बस जाए।

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