डोमिसाइल की आग में जले थे बाबूलाल

बाबूलाल मरांडी का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा

रांची के प्रभात तारा मैदान में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में 14 वर्षों के बाद बाबूलाल मरांडी की गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में घर वापसी हुई। बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक करियर पर गौर करें तो ये उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। वर्ष 1990 में वह भाजपा के माध्यम से सक्रिय राजनीति में आए। दुमका लोकसभा क्षेत्र से झामुमो के कद्दावर नेता शिबू सोरेन को हराने के बाद उनका राजनीति ग्राफ तेजी से बढ़ा। प्रारंभ में बाबूलाल की गतिविधियां संथाल परगना क्षेत्र में ही केंद्रित थी।

झारखंड का पहला मुख्यमंत्री बने थे बाबूलाल

बाबूलाल को केन्द्र में वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री की जिम्मेदारी मिली और जब बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य अस्तित्व में आया तो भाजपा ने उन्हें आगे कर झारखंड का पहला मुख्यमंत्री बनाया। हलांकि बाबूलाल के कार्यकाल में डोमिसाइल विवाद के कारण प्रदेश में बड़े पैमाने पर हिंसा की घटना भी हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रदेश के ज्यादातर नेता बाबूलाल के विरोधी हो गए और दिनांक 18.03.2003 को भाजपा ने झारखंड में बाबूलाल को हटा कर अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन किया।

साल 2006 में अलग पार्टी का गठन किया

पार्टी के इस फैसले से बाबूलाल को निराशा हुई, वे खुद को पार्टी से कटा हुआ महसूस करने लगे। धीरे-धीरे वे भाजपा से दूर होते चले गए। भाजपा के कई बड़े नेता जो किसी कारण से पार्टी से असंतुष्ट चल रहे थे, वे बाबूलाल के संपर्क में थे। बाबूलाल ने उन नेताओं को जिनमें प्रमुख थे रविन्द्र राय, प्रदीप यादव, संजय सेठ आदि को लेकर साल 2006 में खुद की अपनी एक अलग झारखंड विकास मोर्चा नामक पार्टी का गठन किया। हालांकि बाबूलाल मरांडी ने जो झाविमो के नाम से पार्टी बनाई थी, उसका प्रदर्शन का ग्राफ कुछ खास नहीं था। साल 2009 के झारखंड विधानसभा चुनाव में 11, 2014 में 08 और 2019 के विस चुनाव में 03 सीटों पर ही जीत मिली। 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में तो हद ही हो गई, जब झाविमो से विजयी 08 विधायकों में से 06 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। 2019 के विस चुनाव में विजयी 03 विधायकों में से 02 विधायकों ने कांग्रेस का दामन थामा और बाबूलाल ने भाजपा का।

स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मुझपर भरोसा किया था

भाजपा में घर वापसी के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को मुझपर काफी भरोसा था, उनके विश्वास पर ही मुझे झारखंड का प्रथम नेतृत्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। स्व. अटलजी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपने परिवार में लौटा हूं और अब उनके पदचिन्हों पर पार्टी को आगे बढ़ाने का काम करुंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *