भारत माता के वीर सपूतों पर देश के हर नागरिक को गर्व है – द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल

सर्वप्रथम मैं देश एवं देशवासियों की रक्षा में शहीद होनेवाले अपने वीर सैनिकों को नमन करती हूँ एवं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ। भारत देश वीरों की भूमि है। देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने हेतु अपना तन-मन-धन सब कुछ न्यौछावर कर दिया। सभी का एक मात्र लक्ष्य व मकसद था- भारत माँ की आज़ादी। उनके लम्बे संघर्ष और त्याग का ही परिणाम है कि आज हमें स्वतंत्र राष्ट्र का नागरिक कहलाने का सौभाग्य एवं गौरव प्राप्त हुआ है। जहाँ हमें वीर स्वतंत्रता सेनानियों के कड़े संघर्ष और त्याग के कारण आज़ादी मिली, वहीं हमारे जवान स्वतंत्र राष्ट्र की बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा के प्रति सदैव सचेष्ट रह रहे हैं। देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा हेतु हमारे वीर सैनिक दिन-रात पूरे जोश व जज़्बे के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन हेतु डटे रह रहे हैं। यूँ समझें जब हमारे जवान जग कर सीमाओं पर पूरी मुस्तैदी से डटे रहते हैं, तब हम रात में चैन से सोते हैं। हमारे वीर सैनिकों ने कठिन व विपरीत हालात में भी राष्ट्रप्रेम की भावना को सदैव प्रबल बनाये रखते हुए प्रत्येक चुनौती का सामना किया है तथा हमारे राष्ट्र के प्रति नापाक इरादे वाले लोगों को कड़ा जबाब दिया है। राष्ट्र की एकता एवं अखंडता की रक्षा करते हुए हमारे वीर सैनिकों ने अपने प्राण की आहुति तक देने में भी जरा संकोच नहीं किया है। भारत माता के ऐसे वीर सपूतों पर देश के हर नागरिक को गर्व है। ये देश उन सभी का सदा ऋणी रहेगा एवं उनकी वीरता तथा त्याग का स्मरण में रखेंगे। उक्त बातें झारखंड की माननीया राज्यपाल महोदया ने आज दीपाटोली में 168वीं रक्षा पेंशन अदालत के अवसर पर कही।

हमारे वीर सैनिक इन्हीं भावनाओं के साथ अपने दिन-रात अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सदैव तत्पर रहते हैं। इस अवसर पर कहना चाहूँगी कि शहीद किसी घर, परिवार या समाज की ही सिर्फ धरोहर नहीं होते, बल्कि पूरे राज्य और देश के गौरव होते हैं। हमारे झारखंड राज्य की भूमि भी वीर सैनिकों को गाथा से भरी है, जिन्होंने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने जान जाने तक का भय नहीं किया। हमारे सैनिक सदैव पूरे जोश एवं जज्बे के साथ अपने दायित्वों के निर्वहन हेतु डटे रहते हैं।

रक्षा पेंशनरों की पेंशन संबंधित समस्याओं के निराकरण हेतु रक्षा पेंशन अदालत का आयोजन करना अत्यन्त हर्श का विषय है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय, विशेषकर इसके लेखा विभाग बधाई के पात्र हैं। झारखण्ड प्रदेश के रक्षा पेंशनरों की समस्याओं के निदान के लिए ये बहुत ही अच्छा प्रयास है। मुझे आशा है कि इस दो दिवसीय पेंशन अदालत में ज्यादा से ज्यादा पेंशनर लाभान्वित होंगे। हमारे सैनिकों या वीर नारियों के पेंशन, सेवानिवृत संबंधी लाभ लंबित नहीं रहना चाहिये। वैसे मेरा मानना है कि हर किसी कर्मी के समस्याओं का शीघ्र निराकरण हो जाना चाहिये। लेकिन जिन पर देश एवं देशवासियों की रक्षा की जिम्मेदारी है, उनके मामले में और त्वरित कार्रवाई होनी चाहिये।

आज पेंशन अदालत यह दर्शाता है कि रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार तथा सभी विभाग वीर सेनानियों तथा उनके परिजनों के कल्याण हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं। सरकार की मंशा यही है कि सभी पेंशनरों को उनका वाज़िब पेंशन मिले और पेंशन संबंधित समस्याओं का निबटारा किया जाय। इस नेक सोच के साथ आगामी 23 अगस्त को पूरे देश में ‘‘पेंशनर दिवस’’ मनाने का निर्णय लिया गया है। इस अद्वितीय कदम हेतु मैं माननीय प्रधानमंत्री महोदय एवं रक्षा मंत्री महोदय का आभार प्रकट करती हूँ।

अन्त  में, मैं पुनः राष्ट्र के सभी महान सपूतों को नमन करती हूँ, जिन्होंने राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा को अपने जीवन से अहम माना। इस अवसर पर मैं इन शहीद जवानों के परिजनों से भी कहना चाहूँगी कि वास्तविक सम्मान इन शहीदों के सौरभ एवं कृत्य है, जिसे कोई मिटा नहीं सकता और भूला नहीं सकता।

जय हिन्द!

जय जवान!  जय किसान!    जय विज्ञान!

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