मारेगा से ग्रामीणों को मिला 100 दिन का रोज़गार

• “ग्रामीणों की आस मनरेगा से विकास “अभियान से आस हुई पूरी
• अभियान के दौरान 3.24 करोड़ मानव दिवस का सृजन. • अभियान में महिलाओं की दिखी भागीदारी

रांची – ग्रामीण क्षेत्रों का समेकित विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। सामाजिक, आर्थिक जाति गणना के अनुसार झारखण्ड के 53 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण परिवार वंचित परिवार की श्रेणी में आते है। वंचित परिवारों की आजीविका एवं आय का स्रोत सरकार की विभिन्न योजनाओं पर काफी हद तक निर्भर करती है। इस स्थिति के मद्देनजर पूरे राज्य में 150 प्रखंडों का चयन किया गया है, जहाँ ग्रामीण परिवारों, महिलाओं एवं अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अधिक से अधिक परिवारों की भागीदारी सुनिश्चित करने, काम की मांग में सहायता करने के उद्देश्य से पंचायतों, गैर सरकारी संस्थाओं, जन संगठनों व महिला समूहों आदि के साथ मिलकर राज्य सरकार द्वारा एक वृहत अभियान “ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास” अभियान चलाया गया। अभियान 22 सितंबर से लेकर 15 दिसंबर 2021 तक चिह्नित 150 प्रखंडों में चलाया गया। अभियान का उद्देश्य, नियमित रोजगार दिवस एवं ग्राम सभा का आयोजन, इच्छुक सभी परिवारों को ससमय रोजगार उपलब्ध कराना, महिला एवं अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों की भागीदारी में वृद्धि, प्रति परिवार औसतन मानव दिवस में वृद्धि,जॉबकार्ड निर्गत / नवीकरण,जॉबकार्ड का सत्यापन, प्रत्येक गाँव/ टोला में हर समय औसतन 5-6 योजनाओं का क्रियान्वयन, पूर्व से चली आ रही पुरानी योजनाओं को पूर्ण करना, प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पर्याप्त योजनाओं की स्वीकृति, शत-प्रतिशत महिला मेट का नियोजन, NMMS के माध्यम से मेट के द्वारा मजदूरों की उपस्थिति अपलोड करना, जीआइएस आधारित प्लानिंग और सामाजिक अंकेक्षण के दौरान पाये गए मामलों के निष्पादन तथा राशि की वसूली अभियान के तहत सुनिश्चित किये गए।

100 दिनों का रोजगार हुआ प्राप्त

100 दिनों का रोजगार अभियान के दौरान कुल 36245 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार प्राप्त हुआ, जो अबतक 100 दिनों का कार्य करने वाले परिवारों का 75.4% है। अभियान के दौरान कुल 1.50 लाख योजनाओं को पूर्ण किया गया, जो पूर्ण हुई योजनाओं का 36.80% है। इसके साथ ही पूर्व से चली आ रही 43366 योजनाओं को पूर्ण किया गया। अभियान में औसत मानवदिवस सृजन में भी अपेक्षित प्रगति दर्ज की गई। औसत मानवदिवस प्रति परिवार 32.29 से बढ़कर 37. 21 हो गया है।

पंचायतों में जीआईएस आधारित योजना तैयार

अभियान के दौरान जीआईएस बेस्ड प्लानिंग के तहत कुल 3031 ग्राम पंचायतों की योजना तैयार की गई है, जिसके विरुद्ध 2900 ग्राम पंचायतों के प्लान को जिलों के द्वारा अनुमोदन किया जा चुका है। वनाधिकार पट्टा के कुल 22309 परिवारों को जॉबकार्ड उपलब्ध कराते हुए 5432 परिवारों को मनरेगा से लाभान्वित करने हेतु व्यक्तिगत लाभ की योजना स्वीकृत कर कार्य प्रारम्भ किया गया।

3.24 करोड़ मानवदिवस का सृजन

अभियान के दौरान 3.24 करोड़ मानवदिवस का सृजन किया गया है, जो कुल सृजित मानवदिवस का 36% है। महिलाओं की भागीदारी अभियान के दौरान कुल 1.54 लाख मानव दिवस का सृजन महिलाओं द्वारा किया गया, जो अभियान के दौरान सृजित मानव दिवस का 48% है तथा महिलाओं की भागीदारी में 1.20% की वृद्धि हुई।

अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों की भागीदारी में 0.56% की वृद्धि

अभियान के तहत अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों द्वारा कुल 78.83 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो कुल सृजित मानव दिवस का 24.35% है तथा इनकी भागीदारी में 0.41% की वृद्धि हुई। अनुसूचित जाति कोटि के श्रमिकों द्वारा कुल 31.78 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो कुल सृजित मानव दिवस का 9.82% है तथा इनकी भागीदारी के प्रतिशत में 0.56% की वृद्धि हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *