राजनीतिक सफर के बहाने सार्वजनिक जीवन का हिसाब देने की अनूठी पहल

जदयू सांसद व राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने अपने संसदीय जीवन के साढ़े पांच वर्षों का ब्यौरा विशेष पुस्तिका का प्रकाशन कर सार्वजनिक किया.

राज्यसभा के वर्तमान उपसभापति व जदयू सांसद हरिवंश ने अनूठी पहल की है. पांच सालों का संसद सफर नाम से पुस्तिका प्रकाशित कर एक सांसद के रूप में सरोकार—सक्रियता के साथ ही गतिविधियों, उपलब्धियों का दस्तावेज जारी किया है.

पुस्तिका में श्री हरिवंश के संसदीय जीवन के आरंभिक दिनों से करीब पांच सालों की गतिविधियों का संकलन है. श्री हरिवंश ने राज्यसभा सांसद बनने के बारे में बताया है कि वे यहां तक बिना एक पैसे खर्च किये कैसे पहुंचे. साथ ही सांसद बनने के बाद उनका जो पहला अनुभव संसद में रहा, उसे भी इसमें दर्ज किया गया है. सांसद बनने के बाद श्री हरिवंश ने अपने सांसद फंड का उपयोग किस तरह से बिहार में तीन शैक्षणिक सह संधान संस्थान के विकास के लिए किया, उसका ब्योरा भी है. हरिवंश ने सांसद फंड का उपयोग आर्यभट्ट विश्वविद्यालय,पटना में नदी अध्ययन व शोध संस्थान तथा आइआइटी पटना सेंटर फॉर इंडेंजर्ड लैंग्वेज व सेंटर फार अर्थक्वेक इंजीनियरिंग एंड रिसर्च के लिए किया है. आदर्श सांसद ग्राम के रूप में श्री हरिवंश ने रोहतास जिले के करहगर प्रखंड के बक्सरा पंचायत का चयन किया है, जिसके अंतर्गत तेंदुनी बहुआरा गांव आता है. यह गांव भवानी दयाल संन्यासी का गांव है,जो दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के निकटवर्ती सहयोगी तो थे ही, हिंदी भाषा के अनन्य सेवक, स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध पत्रकार व लेखक थे.साथ ही संसद में हरिवंश ने जिन सवालों को उठाया, जो दो महत्वपूर्ण बजट भाषण दिये, उन्हें इस पुस्तिका में शामिल किया गया है. इस पुस्तिका के आखिरी में एक विस्तृत बातचीत है, जिसमें हरिवंश ने अपने सार्वजनिक जीवन से जुड़े तमाम सवालों का जवाब दिया है. इस पुस्तिका की आरंभिक प्रतियां राज्यसभा के माननीय सभापति श्री एम वेंकैया नायडु, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को भेंट की गई. सबने इस पहल की सराहना—प्रशंसा की.

इस पुस्तिका की तारीफ करते हुए उपराष्ट्रपति सह राज्यसभा के सभापति श्री एम वेंकैया नायडु ने कहा कि इस पुस्तिका में श्री हरिवंशजी के विचारों, कार्यों और योगदान का ब्योरा है. श्री हरिवंशजी का कर्म और संदेश सभी सांसदों के लिए अनुकरणीय है. अन्य कई महत्वपूर्ण लोगों ने इस पहल और पुस्तिका की तारीफ की है. इस पत्रिका का वितरण राज्यसभा के सांसदों, बिहार के सभी विधायकों व मंत्रियों तथा देश के अलग—अलग हिस्से में रह रहे प्राध्यापकों, बौद्धिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच की गई है.

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