दुमका में गुरु और चेला के बीच टक्कर…

Dumka. झारखंड में मंदिरों का गांव मलुटी और मयूराक्षी नदी पर बना मसानजोर डैम दुमका को अलग पहचान देता है। दुमका लोकसभा सीट पर एक बार फिर गुरु और चेला के बीच टक्कर है। इस टक्कर में उंट किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है। यहां टक्कर बराबरी की है। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 19 मई को यहां वोटिंग होनी है। यहां से मुख्य प्रतिद्वंदी आठ बार सांसद रह चुके झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और भाजपा सुनील सोरेन हैं। सुनील ने झामुमो से ही अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की, लेकिन अब वे भाजपा में हैं।

यह इलाका झारखंड और बंगाल का सीमा क्षेत्र है। वहां के लोग कहते हैं कि दुमका की लड़ाई कांटे की है। गुरुजी को चेले से चुनौती मिल रही है। इस सीट पर कई और प्रत्याशी हैं लेकिन मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच है। कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि गुरुजी का यह अंतिम चुनाव है। तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके गुरूजी झामुमो के टिकट पर अपने इस परंपरागत सीट को बरकरार रखने की मशक्कत कर रहे हैं। लगातार तीसरी बार दुमका सीट से गुरु और चेले के बीच जोर आजमाइश है। हलांकि गुरुजी तीनों बार जीते हैं लेकिन अंतर ज्यादा का नहीं रहा है। वर्ष 2009 के आम चुनाव में यह अंतर करीब 19000 वोटों का था,वहीं 2014 में यह 39000 का था। 2014 के चुनाव में जेवीएम की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी यहां से भाग्य आजमा रहे थे, जो पहले दो बार यहां भाजपा के टिकट पर शिबू सोरेन को मात दे चुके हैं। पिछले चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय था। इस बार बाबूलाल मरांडी महागठबंधन का हिस्सा हैं और शिबू सोरेन के साथ खड़े हैं। इस लिहाज से जहां झामुमो के लिए गणित उसके पक्ष में दिख रहा है।  इस बार की लड़ाई कई मायनों में खास है। झामुमो के कार्यकर्ता कहते हैं कि गुरुजी का यह अंतिम चुनाव है। इसलिए जीत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। बात भाजपाइयों से की तो कहते हैं कि अब गुरुजी को और मौका नहीं मिलना चाहिए।

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