बिहार के 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को उच्चतम न्यायालय से बड़ा झटका लगा है, अब उन्हें समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिलेगा। कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी द्वारा चुनौती दी। 31 अक्टूबर 2017 को शिक्षकों के पक्ष में दिए गए पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने 14 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे व उमेश ललित की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। न्यायालय ने उन्हें नियमित करने से इंकार कर दिया है। एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कहा था कि समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार को वहन करना संभव नहीं है। राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि आर्थिक स्थिति नहीं कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके।