रांची– देश में कोरोना संकट थम नहीं रहा है, प्रतिदिन नए पोसिटिव मरीज़ों का मिलना जरी है। झारखंड में निजी स्कूल बच्चों के अभिभावकों पर फीस जमा करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों ने अपने वेब साइट और एप के मध्यम से फी जमा करने के लिए निर्देश जारी कर दिया है। अभिभावकों के परेशानी को देखते हुए आजसू पार्टी ने स्कूलों के इस रवैये पर कड़ा एतराज जताया है।आजसू ने झारखंड सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने की माँग की है।
आजसू प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कई बार बयान दे चुके हैं कि लॉकडाउन में निजी स्कूल फीस नहीं लेंगे। राज्य के कई हिस्सों से लगातार ये खबरें सामने आ रही हैं कि स्कूल फीस के लिए कई तर से दबाव देने लगे हैं।
आजसू ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों में बड़े पैमाने पर वैसे बच्चे भी पढ़ते हैं जिनके अभिभावक साधारण नौकरी पेसा से जुड़े। लॉकडाउन के दौरान सरकारी आदेश पर सरे काम धंधे बंद है।लोगों पर राशन पानी का इंतज़ाम करना हीं भारी पड़ रहा है। वहीं सूचना है कि कई राज्यों की सरकार ने निजी स्कूलों पर फीस लेने या एनुअल-डेवेलोपमेण्ट फीस लेने पर रोक लगा दी गई है।लेकिन झारखंड में मंत्री सिर्फ बयानबाजी कर रहें हैं। सरकार के घटक दलों को भी इस मामले पर मुखर हो कर सामने आना चाहिए। राज्य के शिक्षा मंत्री बयान देते हैं कि निजी स्कूल इस संकट की घड़ी में फीस के लिए दबाव नहीं बना सकते है। और सरकार के घटक दल कांग्रेस के नेता कहते हैं कि निजी स्कूलों का फीस मांगना उचित है। ऐसे में प्रतीत होता है कि सरकार में सब ठीक ठाक नहीं चल रहा है।
डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि सरकार को इस मामले में दो टूक निर्णय लेते हुए स्पष्ट निर्णय दें. जहां तक स्कूलों के शिक्षकों, कर्मचारियों के वेतन का सवाल है, तो अधिकतर स्कूलों के पास इतना फंड होता है कि वे भुगतान कर सकते हैं. मुश्किलों में पड़े छात्रों और उनके अभिभावकों पर दबाव बनाना ठीक नहीं है। अगर इसे नहीं रोका गया, तो विवाद बढ़ सकता है।यदि स्कूलों प्रबंधन के पास फंड नहीं है, तो सरकार को उनकी भी मदद करनी चाहिए। मदद की आस में सबकी निगाहें सरकार की ओर टिकी हुई है।