सार्वजनिक जीवन में नैतिकता,ईमानदारी और कर्मठता की मिसाल थे रघुवंश बाबू– हरिवंश
दिल्ली- वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्री हरिवंश ने गहरा शोक व्यक्त किया है. अपने शोक संदेश में श्री हरिवंश ने कहा है कि यह उनका निजी नुकसान है, क्योंकि वर्षों से उन्हें करीब से और निजी रूप से जानता रहा, आत्मीय संबंध रहे. रघुवंश बाबू न सिर्फ बिहार के बल्कि देश के एक प्रमुख नेता थे. समाजवादी आंदोलन से उभरे रघुवंश बाबू ने दशकों राजनीति और सार्वजनिक जीवन में रहते हुए जिस तरह से नैतिकता और कर्मठता की मिसाल पेश की, वह दुर्लभ है. देसज अंदाज में रहने,बोलने वाले और हमेशा जमीनी लोगों से जुड़कर देसी शैली में जीवन गुजारनेवाले रघुवंश बाबू वर्तमान समय में सैद्धांतिक राजनीति की परंपरा की एक ऐसी मिसाल थे, जिन्होंने हमेशा जाति,धर्म,संप्रदाय से उठकर हमेशा ही गरीबों, वंचितों, शोषितों और हाशिये के समाज के लिए आवाज उठायी और उनके सामाजिक—आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रयास किये. केंद्रीय मंत्री रहते हुए मनरेगा के माध्यम से उन्होंने जो बेहतरीन काम किये, उसे हमेशा याद किया जाएगा. दो दिनों पहले अस्पताल से ही उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमारजी को पत्र लिखकर मनरेगा में और सुधार करने की जो बातें कही हैं, उससे भी उनके सरोकार का पता चलता है कि आखिरी समय तक कैसे वह देश,समाज और राज्य के लिए ही जीते रहें.
श्री हरिवंश ने कहा कि रघुवंश बाबू गणित के प्राध्यापक थे लेकिन उन्होंने कभी राजनीति को सिर्फ गणित का खेल नहीं माना और न उसे बनाया. इस घटना को सभी लोग जानते हैं कि जब लालू प्रसाद यादवजी की पार्टी संसदीय चुनाव में बुरी तरह हार गयी तो भी कांग्रेस ने रघुवंश बाबू को लोकसभा स्पीकर बनने का प्रस्ताव दिया. रघुवंश बाबू ने यह कहकर उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि पार्टी से अलग वह सिर्फ अकेले ऐसे प्रस्ताव को न तो स्वीकार सकते हैं और ना ही जुड़ सकते हैं. ऐसे त्याग और समर्पण की अनेक कहानियां उनके राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में जुड़ी है, जो भावी पीढ़ी को और भारतीय राजनीति को दिशा देने का काम करेंगी. श्री हरिवंश ने दुख की इस घड़ी में उनकी आत्मा की शांति की कामना के साथ ही उनके परिजनों और समर्थकों को ढाढ़स के साथ आत्मबल बढ़ाने की कामना की है.