विविधता से भरे हमारे देश में झारखंड के दुमका जिले में मालूटी एक ऐसा गांव है, जहां पहुंचने पर आपकी नजर जिधर जाएगी, उधर आपको प्राचीन मंदिरें ही नजर आएंगे। अधिक संख्या में मंदिर होने के कारण, इस गांव को गुप्त काशी और मंदिरों का गांव भी कहा जाता है।
यहां भगवान शिव के मंदिरों के अलावा दुर्गा, काली, धर्मराज, मनसा, विष्णु जैसे कई देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं। इतना ही नहीं यहां मौलिक्षा माता का एक भव्य मंदिर भी है। बाज बसंत राजवंशों के काल में बनाए गए इन मंदिरों की संख्या प्रारंभ में 108 हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान समय में इनकी संख्या घटकर 72 रह गई है। लाल सुर्ख ईंटों से चाला रीति में निर्मित इन मंदिरों की अधिकतम ऊचांई 60 फीट और न्यूनतम ऊचांई 15 फीट है। इन्हें बनाने में बंगाल की वास्तुकला का भी प्रमुखता से इस्तेमाल किया गया है। दीवारों पर रामायण-महाभारत के दृ़श्यों का सुन्दर चित्रण भी किया गया है।
मंदिरों का गांव मालूटी झारखंड के एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित भी हो रहा है। लेकिन अभी यहां कुछ मूलभूत सुविधाएं का अभाव है जिसके कारण पर्यटक रात में यहां रुकने से कतराते हैं। वैसे झारखंड पर्यटन विभाग सहित झारखंड सरकार भी मंदिरों को बचाने के साथ पर्यटकों के सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, आवश्यक कदम उठा रही है। जल्द ही मालूटी की विश्व पटल पर अपनी एक नई पहचान बनेगी।